आज विजय दिवस पर विशेष, संजय अनंत याद कर रहे आज के दिन घटी वो घटना,जिस ने पाकिस्तान को हमेशा के लिए दो हिस्सों मे बाट दिया था
बिलासपुर (mediasaheb.com)| आज 1971 भारतीय सेना के पराक्रम की विजय गाथा आज ही इतिहास मे दर्ज़ हुई स्थान था पूर्वी पाकिस्तान का सब से बड़ा शहर ढाका |उस दिन पाकिस्तानी जनरल नियाज़ी रूआसे थे ,गला भर आया था | स्थान था ढाका का रेसकोर्स मैदान | आत्मसर्पण की रस्म निभाई गई |समर्पण के कागजात पर हस्ताक्षर हुए | इसके बाद नियाजी ने अपने कंधे से अपने पद का बैच उखाड़ दिया रिवाल्वर के कारतूस निकाल जनरल सरदार जगजीतसिंह अरोड़ा को सौप दिए| फिर समर्पण की रस्म के तहत जनरल अरोड़ा के माथे से अपना माथा मिलाया | [१९७१ विजयगाथा ] दरअसल ये आधुनिक विश्व में हुई किसी भी जंग में किया गया सबसे बड़ा आत्मसर्पण था , नियाज़ी के साथ सैकड़ो पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना लड़े हथियार डाल दिए । शिमला समझौते में इन सैनिको का हमारे पास युद्ध बंदी होना एक बड़ा कूटनैतिक हथियार था । हम फिर गलती कर गए ,पाकिस्तान को और दबाया जा सकता था । जब तक ये सैनिक हमारे बंदी रहे इन पर कोई अत्याचार नहीं किया गया ,अलबत्ता दिल्ली मेरठ सड़क जरूर इनसे बनवाई गयी थी । ये रोज़ जो पाकिस्तानी नेता मीडिया में भारत को धमकी देते रहते है वो ज़रा इतिहास के पन्नो को पलटे, दो शब्द new generation के लिये
ये बम्बइया शाहरुख़ सलमान नहीं , सरदार जगजीत सिंह जैसे शेर है हमारे असली हीरो ,,,
संजय अनंत ©