छात्र लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी मेहनत करे , वरिष्ठ डेटा वैज्ञानिक तुषार कुटे के विचार
अलार्ड विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ (शैक्षिक यात्रा प्रेरण कार्यक्रम)
पुणे, 8 अगस्त: “जीवन में सफल होने के लिए, छात्रों को अपना लक्ष्य निर्धारित कर काम पर ध्यान केंद्रित करना हैं . अपने समय की योजना बनाते हुए लक्ष्य को प्राप्त करने कड़ी मेहनत करे. प्रौद्योगिकी के युग में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करना चाहिए. साथ ही उन्हें अपने छात्र जीवन में हर दिन नई चीजें सीखने के लिए दृढ़ संकल्पित होना चाहिए. ये विचार एमआईटीयू रिसर्च पुणे के डेटा वैज्ञानिक और शोधकर्ता तुषार कुटे ने व्यक्त किए.
वे अलार्ड विश्वविद्यालय के ‘इंजीनियरिंग और प्रबंधन’, अलार्ड स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट’ द्वारा आयोजित दीक्षारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. इसी तरह, फार्मेसी स्कूल, स्वास्थ्य एवं जैव विज्ञान स्कूल और विधि स्कूल ने भी अपने दीक्षांत समारोह आयोजित किए. विशेषज्ञों ने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल एक अभिविन्यास नहीं है, बल्कि पेशेवर उत्कृष्टता और व्यक्तिगत विकास की ओर ले जाने वाली एक परिवर्तनकारी यात्रा का पहला कदम है.
इस अवसर पर टेक महिंद्रा के बिजनेस सॉल्यूशंस के नितिन कानडे मुख्य अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता अलार्ड विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष एवं कुलाधिपति डॉ. एल.आर. यादव निभाई. इस अवसर पर शोधकर्ता डॉ. देवीदास भालेराव, फार्मा उद्योग विशेषज्ञ संजय देशमुख और वरिष्ठ अधिवक्ता एस.बी. बखारिया यादव भी उपस्थित थे.
अलार्ड विश्वविद्यालय के कार्यकारी निदेशक डॉ. आर.एस. यादव, कुलपति डॉ. सोहन चितलांगे और डीन एस. के. श्रीवास्तव भी उपस्थित थे.
तुषार कुटे ने कहा, “वर्तमान में, एआई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के कारण दुनिया बदल रही है. यह जहाँ रोज़गार के अपार अवसर प्रदान कर रही है, वहीं छात्रों का इससे दूर रहना उचित नहीं है. उन्हें खुले मन से तकनीक का अध्ययन करना चाहिए. एआई में इंजीनियरिंग, मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, उद्यमी, शोध सहयोगी, सॉफ्टवेयर डेवलपर, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ जैसे क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है।”
डॉ. एल.आर. यादव ने कहा, “अलार्ड विश्वविद्यालय छात्रों में ज्ञान, अनुशासन, मूल्य और सामाजिक उत्तरदायित्व का संचार करता है. इसके माध्यम से छात्र पूर्ण बनता है. उसकी लगन जागृत होकर, उसे सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित किया जाता है. सफलता के लिए शॉर्टकट कोई विकल्प नहीं हैं, बल्कि इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है. प्रगति का द्वार शोध से ही खुलता है.
नितिन कानडे ने कहा, “जुनून, निरंतर सीखने का दृढ़ संकल्प, समय प्रबंधन, जिज्ञासु होने की क्षमता और बदलती तकनीक की नवीनतम जानकारी और कौशल हासिल करना एक छात्र को सफल बनाता है. इसका एक अच्छा उदाहरण डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हैं, जो जीवन भर अंतरिक्ष और मिसाइलों का अध्ययन करते रहे. इसलिए छात्रों को अपने शैक्षणिक जीवन के दौरान शिक्षकों द्वारा बताई गई हर बात को सख्ती से पालन करना चाहिए.
डॉ. सोहन चितलांगे ने कहा, “अलार्ड विश्वविद्यालय नई दृष्टि, नेतृत्व, सतर्कता, कड़ी मेहनत और समर्पण के पाँच स्तंभों के आधार पर बना है। यहाँ छात्रों को 70 प्रतिशत व्यावहारिक और 30 प्रतिशत सैद्धांतिक ज्ञान दिया जाता है. विश्वस्तरीयता की ओर अग्रसर इस विश्वविद्यालय के छात्र न केवल नौकरी चाहने वाले बल्कि नौकरी देने वाले भी होंगे.
एस. के. श्रीवास्तव ने कहा, “यहाँ छात्रों को प्रेरित करने और उनके उज्ज्वल भविष्य को आकार देने के लिए उच्च प्रशिक्षित शिक्षकों की एक टीम मौजूद है. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहते थे कि सोते हुए सपने देखना अलग बात है, लेकिन असली सपने वे होते हैं जो आपको सोने ही न दें. आज देश को ऐसे ही छात्रों की ज़रूरत है. छात्रों ने उस सपने को साकार करने के लिए अलार्ड विश्वविद्यालय को सही विकल्प चुना है. यहाँ का कोई भी छात्र किसी भी क्षेत्र में जाए, वह सर्वश्रेष्ठ होगा. इसके लिए छात्रों को अपना आदर्श स्थापित करना चाहिए.
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. अमित जाम्ब्रे ने सभी का स्वागत किया.
शैक्षणिक डीन डॉ. संतोष श्रीवास्तव ने संचालन किया और आभार माना.