पुणे (mediasaheb.com) पुणे महानगरपालिका और एमआयटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय (एमआयटी एडीटी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “हेरिटेज यात्रा-2025” सांस्कृतिक उत्सव के दूसरे दिन शालेय विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ सहभाग लिया। सिंहगड रोड स्थित पु. ल. देशपांडे उद्यान में लगे कलाग्राम में सुबह से ही पुणे की विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
लोणी काळभोर स्थित विश्वशांति गुरुकुल स्कूल, सिंहगड स्प्रिंग डे स्कूल और बिबवेवाड़ी के विश्वकर्मा जूनियर कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस सांस्कृतिक मेले में सहभागिता की। दिन भर छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में लगातार वृद्धि देखी गई।
इस अभिनव उपक्रम का उद्घाटन गुरुवार को पुणे महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी.पी. और एमआयटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर कुलगुरु प्रा. डॉ. राजेश एस., कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे, प्रसिद्ध गायिका प्रियांका बर्वे, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की प्राचार्या डॉ. अश्विनी पेठे, तथा पीएमसी और एमआयटी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
कलाग्राम में सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत अनुभव
कलाग्राम को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की भावना से सजाया गया है। प्रवेश द्वार पर निर्मित अयोध्या मंदिर की भव्य प्रतिकृति आगंतुकों का विशेष ध्यान आकर्षित कर रही है। उत्सव में काष्ठ शिल्प, कुंभार कला और भारतीय पारंपरिक वास्तुकला पर आधारित स्टॉल्स लगाए गए हैं, जिनसे छात्र-छात्राओं को सीखने और देखने का अनोखा अनुभव मिला।
‘हेरिटेज प्ले लैंड’ बना बच्चों का आकर्षण केंद्र
बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई ‘हेरिटेज प्ले लैंड’ इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण रहा। यहाँ शब्दकोडे, भारत की भाषाएँ, राजधानियाँ, युनेस्को विरासत स्थल, स्मारक आधारित वर्कशीट्स जैसे शैक्षणिक और मनोरंजक खेल प्रस्तुत किए गए। विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक इन गतिविधियों में भाग लिया और सफलतापूर्वक चुनौतियों को पूरा कर पुरस्कार प्राप्त किए।
‘महा मिस्ट्री पज़ल’ नामक गतिविधि में छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों पर आधारित जिग्सॉ पज़ल्स ने बच्चों को ऐतिहासिक स्थलों से जोड़ दिया। ‘अराउंड इंडिया’, ‘डार्ट एंड डिस्कवर’ तथा ‘मिस्ट्री बॉक्स चैलेंज’ जैसे अन्य खेल भी विद्यार्थियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय साबित हुए।
वारली पेंटिंग और टाई एंड डाई वर्कशॉप को भी मिला भरपूर प्रतिसाद
वारली चित्रकला और टाई अँड डाई जैसी कार्यशालाओं में भी विद्यार्थियों और नागरिकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। बच्चों ने कहा कि इन कार्यशालाओं में भाग लेने से उन्हें कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक विधाओं को समझने का अवसर मिला। अपनी स्वयं की कलाकृति का अंतिम रूप देखकर छात्र-छात्राओं के चेहरों पर संतोष और गर्व की झलक देखने को मिली।