बिमल राय, रुपहले परदे का साहित्यकार
बिलासपुर, (Mediasaheb.com) । ये इतना बड़ा नाम है की इनका बखान एक पुस्तक मे भी संभव नहीं..एक दो नहीं कुल ग्यारह फ़िल्म फेयर अवार्ड उन्हें मिले क्रिएटिविटी क्या होती है,आप सीमित संसाधन से कैसे कुछ सर्वश्रेष्ठ दे सकते है, हिन्दी बांग्ला साहित्य के स्वर्णिम युग की कालजयी कथाओं को रुपहले परदे पर पुनः प्रगट कर उन्हें सामान्य जन तक पहुंचाया, आज जब इस महान व्यक्ति पर लिख रहा हूं, तो समझ ये नहीं आ रहा की क्या क्या लिखू?? दिलीप साहब की क्लासिक *मधुमती* पर बात हो या नूतन के अद्भुत अभिनय सज़ी बंदीनी या सुजाता, या गुरुदेव की कथा पर बनी फ़िल्म *काबुली वाला* की बात करें या बलराज साहनी के अभिनय कौशल के चरम *दो बीघा ज़मीन* की बात करें या शरत बाबू की कालजयी कृति *देवदास* पर,जो दिलीप साहब के ट्रेज़ड़ी को परदे पर जीने का चरम हो या शरत बाबू की परिणिता या बिराज बहु..
क्या भूलू क्या याद करू, आप ही बताओ
विमल राय एक व्यक्ति नहीं इंस्टिट्यूशन है आप जहाँ फ़िल्म मेकिंग, निर्देशन सीख सकते है, हिन्दी व बांग्ला सिनेमा का स्वर्णिम इतिहास विमल राय के बिना अधूरा होगा
हम जिन्हे महान अभिनेता, अभिनेत्री या गीतकार या संगीत कार मानते है, उन्हें पहचान, अमरत्व विमल राय की फिल्मो से ही मिला, उनकी फिल्मो का उम्दा संगीत आज भी सुना जाता है, आज भी जब अभिनय की बात होती है, श्रेष्ठ फिल्मो की बात होती है तो बिमल राय का नाम ही सब से पहले आता है
समीक्षक ज़ब किसी फ़िल्म की तुलना विमल राय की फ़िल्म से करते है तो उन्हें श्रेष्ठ माना जाता है यानि विमल राय सर्वोत्तम के मापदंड है
‘वाह्ह्हह दिलीप साहब के देवदास जैसा अभिनय किया’ या कोई लिखता है की इस एक्ट्रेस ने नूतन जैसा सधा अभिनय किया तो इन सब के पीछे विमल राय का वो महान सिनेमा है, जो हिन्दी व बांग्ला सिनेमा के स्वर्ण युग की स्मृति तरो ताज़ा करता रहेगा
यदि आप से हम पूछे की बताइये आप को कौन सी विमलराय की फ़िल्म सर्वश्रेष्ठ लगी तो आप के लिए भी चुनना बड़ा कठिन होगा.. किसे चुने
मधुमति, देवदास, काबुली वाला, सुजाता, बंदीनी , दो बीघा ज़मीन या…. बड़ी लंबी लिस्ट है ज़नाब
विमल राय की अद्भुत प्रतिभा को प्रणाम
*संजय अनंत ©*