मुंबई,(mediasaheb.com)। महाराष्ट्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने सूबे की शिंदे-फडणवीस सरकार पर जनता की आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि आज कैबिनेट में वर्षा प्रभावित किसानों को एनडीआरएफ के मापदंड का दोगुना आर्थिक मदद दिए जाने का जो निर्णय लिया गया, वह पूरी तरह से कपटपूर्ण है। इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होगा। साथ ही शिंदे-फडणवीस सरकार ने वर्षा प्रभावित मजदूर, व्यापारी, बागवानी करने वाले किसानों की सुध तक नहीं ली, जबकि इनका बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। इस निर्णय पर पुनर्विचार करके, बाढ़ पीडि़तों को और अधिक सहायता राज्य सरकार को देना चाहिए। इसके लिए विपक्ष विधानसभा में आवाज उठाएगा।
अजीत पवार ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि एनडीआरएफ मापदंड में खेतिहर मजदूरों, व्यापारियों, टपरी धारकों को शामिल नहीं किया गया है। साथ ही एनडीआरएफ के मापदंड से किसानों को ईमानदारी से नुकसान भरपाई नहीं मिल सकती है, इसीलिए उन्होंने फसल के लिए 75 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, बागवानी के लिए 1.5 लाख रुपये की मांग की है। विदर्भ और मराठवाड़ा में भारी बारिश से फसलों, घरों और कृषि भूमि को भारी नुकसान हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने आगे कहा कि भारी बारिश से राहत के लिए तीन हेक्टेयर क्षेत्र की सीमा अनुचित है और इससे कई किसान राहत से वंचित रहेंगे। इस स्थिति को शिथिल करने की आवश्यकता है। चूंकि भारी बारिश के दौरान खेतिहर मजदूरों का रोजगार खत्म हो जाता है, उन्हें भी मदद की जानी चाहिए। घर के बर्तन, कपड़े खराब होने पर प्रति परिवार 3800 रुपये एनडीआरएफ की अधिकतम सहायता राशि है। वह दोगुना नहीं होगा। महाविकास अघाड़ी सरकार ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को बर्तन, कपड़े और खाद्यान्न के लिए पांच-पांच हजार रुपये की तरह 15 हजार रुपये दिए थे। पूरी तरह से नष्ट हुए मकानों के लिए डेढ़ लाख रुपये और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए कुल 50,000 रुपये दिए गए थे। इसलिए सरकार को चाहिए कि इस समय महाविकास अघाड़ी से ज्यादा सहायता की घोषणा करें। दुकानदारों, टपरी धारकों के लिए एडीआरएफ मानदंड में कोई मदद नहीं है। महाविकास अघाड़ी सरकार ने ऐसी संस्थाओं को नुकसान का 75 प्रतिशत या अधिकतम 10,000 रुपये तक की मदद की थी।(हि.स.)