बिलासपुर(mediasaheb.com) | जांजगीर के पिहरीद गांव का राहुल अपने घर के पीछे खेलते समय शुक्रवार दिनांक 10 जून 2022 के दोपहर लगभग 2 बजे को बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। उसे बचाने के प्रयास में एनडीआरएफ़ की टीम और उसके साथ एसईसीएल की रेस्क्यू टीम लगातार 100 घंटे तक काम की । एसईसीएल की रेस्क्यू टीम कम्पनी के खदानों में घटित घटनाओं में राहत व बचाव का कार्य करती है विभीन्न क्षेत्रों में इसकी मदद भी ली जाती रही है । जैसे ही एसईसीएल की रेस्क्यू टीम को उक्त घटना की जानकारी हुई तत्काल वे मदद के लिए घटनास्थल पहुचे ।
10-12 सदस्यीय टीम , चौबीस घंटे ग्राउंड ज़ीरो पर
एसईसीएल कोरबा, कुसमुंडा एवं मनेंद्रगढ की रेस्क्यू टीम से लगभग १२ लोगों की टीम एनडीआरएफ़ के साथ लगातार एक्शन में थी ।
बड़ी चुनौतियाँ
बोरवेल खुदाई की लगभग 60 फ़ीट की गहराई में राहुल के गिरने के बाद टीम ने मिलकर एक समानांतर इंक़्लाईंन विकसित किया । इसके बाद इन दोनों को आपस में जोड़ने के लिए लगभग 20 फ़ीट की क्षैतिज (horizontal) खुदाई शुरू की गई जिससे राहुल तक पहुँचा जा सके । किंतु इसमें सामने हीं बड़ी चट्टान का हिस्सा आ गया जिससे खुदाई का काम दुरूह हो गया । ऐसी स्थिति में ब्लास्टिंग का सहारा लिया जा सकता था किंतु राहुल के लोकेशन की वजह से ऐसा कर पाना सम्भव नहीं था । और तब शुरू हुई हौसलों की लड़ाई – टीम के सदस्य ड्रिल मशीन आदि से थोड़ा थोड़ा करके चट्टान तोड़ने लगे । कई बार घंटे में १ फ़ीट तो कई बार इतना भी नहीं, इस रफ़्तार से चट्टान टूट रही थी । लगभग 105 घंटे से बोरवेल में फंसे राहुल को करीब 14 जून की रात्रि 10.45 रेस्क्यू किया गया । राहुल को पहले टनल में रखा गया, फिर प्राथमिक जाँच के बाद उसे बिलासपुर स्थित अपोलो हॉस्पिटल ग्रीन कोरीडोर तैयार कर लाया गया जहां उसका ईलाज चल रहा है ।
आरम्भ से ही हर कोई यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि जल्दी से राहुल को बाहर निकाल लिया जाए। पूरे गांव के लोग भी पूरे समय उसी जगह पर टिके रहे, जहां पर बच्चा गिरा था । राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है वहीं भाई उससे 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है । राहुल बोल और सुन नहीं सकता । राहुल को बचाने के लिए शुक्रवार से ही एनडीआरएफ, सेना, एसडीआरएफ, एसईसीएल, पुलिस प्रशासन, जांजगीर जिला प्रशासन की 500 लोगों की टीम जुटी हुई थी ।