बिलासपुर (mediasaheb.com)
सदाबहार अभिनेता देवानंद की जयंती पर उन्हें याद कर रहें हैं संजय अनंत..
गाइड(1965 ) बहुत लोगो की मनपसंद फिल्म है, भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्मो मे से एक, देव साहब के लंबे चले फ़िल्मी सफर की सब से उम्दा फ़िल्म और बेपनाह हुस्न की दौलत से मालामाल वहिदा जी की उम्दा अदाकारी..बिना विवाह किसी युवा युगल का साथ रहना संभव है भारतीय समाज मे??लिविंग रिलेशनशिप, अपने पति से असंतुष्ट पत्नी (वहीदा रहमान)का विद्रोह..
भारतीय अंग्रेजी साहित्य की महान लेखनी आर . के नारायण की उपन्यास पर बनी थी ये फिल्म, ये फ़िल्म हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बनी और पूरे विश्व में इसकी चर्चा हुई,
इस कथा में गज़ब का विरोधाभास है , यहाँ जीवन का यथार्थ और काल्पनिक आदर्शवाद में जबरदस्त कश्मकश हैं वृध्दावस्था की दहलीज पर खड़ा एक शख्स अपनी युवा पत्नी की जिस्मानी जरुरत को पूरा नहीं कर सकता तो उसकी शोहरत ,दौलत किस काम की ? वहीदा रहमान का राजू गाइड के प्रति आकर्षण इसी यौन इच्छाओं ( Sexual desire ) की बुनियाद पर खड़ा है, ये फिल्म मानव जीवन की जटील बुनावट को समझाने का प्रयास है , नायिका शादीशुदा होने के बाद भी , राजू गाइड के प्रति आकर्षित होती है , उसके साथ जीवन का आनंद पाना चाहती है ,
वो गीत, शायद आप सब को याद होगा
आज फिर जीने की तमन्ना है🎵
यहाँ राजू गाइड एक आम इन्सान है , उसमे नायकत्व (heroism)नहीं है, उसमे वो सारी कमजोरी , बुराई या अच्छाई है , जो सभी में होती है, विश्वास कहे या अन्धविश्वास , एक आम इन्सान राजू गाइड , ग्रामीण जन द्वारा संत मान लिया जाता है , फिर वो आम आदमी वो कर जाता है , जो वो शायद कभी नहीं करता या करना चाहता,12 दिन का उपवास , ग्रामीण जन का विश्वास , बारिश की आस , राजू गाइड को वाकई संत में परिवर्तित कर देती है,उसकी अंतर आत्मा, उस से मानो संवाद करती हैं, देव साहब का यादगार डायलॉग
‘ना खुशी है, ना गम है, ना दया है, ना दुनिया है, ना इंसान है, ना भगवान है…सिर्फ मैं हूँ, मैं हूँ, मैं हूँ, मैं हूँ…
सिर्फ मैं’
वो जितने छल कपट करता हैं संसार का सुख पाने के लिए , पर जीवन के इस मोड़ में उसे अब कुछ नहीं चाहिए, ग्रामीणों के विश्वास में ही उसकी मानो मुक्ति हैं
‘ऐसा लग रहा है जैसे आज मेरी सारी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी… लेकिन मजा ये है कि आज मेरी कोई इच्छा बाकी नहीं है’
फिल्म तो कालजयी है और उसका संगीत भी बेहतरीन हैं, देव साहब राजू गाइड बन कर अमर हो गए
*संजय ‘अनंत ‘©*