सकारात्मक संवाद सर्वथा समाधान कारक व कल्याणकारी होते है। हमारे विचार शुद्ध, स्पष्ट, आशावादी व परोपकारी होने चाहिए, यही जीवन का मूल मंत्र है। सकारात्मक सोच को अपनाना एक ऐसी कला है, जिसे अपनाकर अपने आप दैनिक जीवन से संतुष्टि व प्रसन्नता सहज ही प्राप्त कर सकते हैं। सकारात्मक चिंतन के साथ मधुर वचन की भी जीवन में अहम भूमिका है। ये दोनों हमारे आभामंडल को शक्तिशाली और ऊर्जावान बनाते हैं। जैसे विचार होते हैं, वैसा ही आचरण होता है। हमें ही निश्चित करना होता है कि हमें नकारात्मक सोचना है या सकारात्मक । नकारात्मक विचारों के साथ आप एक सकारात्मक जीवन नहीं जी सकते।
कहा जाता है कि यदि कमरे में अंधेरा है तो उसे बाहर निकालने के लिए प्रकाश चाहिए। उसी तरह नकारात्मक अवगुण निकालने के लिए हमें सकारात्मक गुण एवं आचरण की ही आवश्यकता है। अतः हम जितना जितना उन सकारात्मक गुणों का मन में चिन्तन व वाणी में प्रयोग करेंगे, उतने ही वे गुण हमारे जीवन में सहज ही आते जाएंगे।
इस प्रकार सकारात्मक सोच के साथ आप हर काम को अधिक श्रेष्ठकार्य-पद्धति से कर सकते हैं। सकारात्मक चिंतन तन-मन को ऊर्जा से भर देते हैं और प्रेरणा देते हैं ।(स्त्रोत -शाश्वत राष्ट्रबोध)