रायपुर (mediasaheb.com)। वीमतारा हॉल, रायपुर में महान शायर दुष्यंत कुमार की स्मृति में नवरंग काव्य मंच द्वारा आयोजित काव्य संध्या “कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं का आयोजन किया गया “इस कार्यक्रम में वर्तमान में विभिन्न मानवीय मूल्यों संवेदनाओं को चिन्हित करने वाली विभिन्न कविताओं एवम गजलो का पाठ किया गया जो आज की युवा पीढ़ी में ऊर्जा एवम प्रेरणा का संचार करती है जिनमे वृद्धों का सम्मान , एकता की भावना , नैतिक मूल्यों की रक्षा, युवा बेरोजगार के प्रति चिंता, देश के मौजूदा हालत और उस पर विचार के सुधार जैसे विषय शामिल रहे कार्यक्रम सफल और रसमय रहा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. रेशमा अंसारी थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि डॉ माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने की। विशिष्ट अतिथि रहे जमशेदपुर से पधारे प्रख्यात कहानीकार श्री मुकुल वर्मा एवं युवा संस्था के संस्थापक श्री एम राजीव सर।
कार्यक्रम का संचालन कवि राजेश जैन ‘राही’ ने बेहद दिलकश अंदाज़ में दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों को उद्धरित करते हुए किया।
युवा कवयित्री योगिता साहू ने दुष्यंत कुमार की जीवनी का पाठ किया।
उपस्थित रचनाकारों ने अपनी ग़ज़लों, कविताओं, छंदों से समां बांध दिया।
डॉ रेशमा अंसारी ने बेहतरीन तरन्नुम में अपनी ग़ज़लों का पाठ किया-
ए हवा तू ही बता किस सिम्त जाना है तुझे,
मन की ताक़ीद है, तेरा साथ निभाना है मुझे।
डॉ माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने पढ़ा
क्या करोगे मेरी ग़ज़ल लेकर ,पत्थरों के शहर में हल लेकर ।
साँस के टूटने की आस लिए , लोग बैठे हैं गंगा जल लेकर ।
राजेश जैन ‘राही’ ने पढ़ा-
कभी अक्षर, कभी चिंतन, कभी अरकान हो जाना,
मेरे शेरों में ढल कर तुम मेरी पहचान हो जाना।
आर. डी. अहिरवार ने पढ़ा-
देवी है एक ऐसी जो ह्रदय विहीन है,
मेरा ये ज़िस्म उसकी तपस्या में लीन है।
श्री सुरेंद्र रावल जी ने पर वृद्धावस्था बहुत ही जोरदार व्यंग्य पढ़ा। शायर आर. डी. अहिरवार, इमरान अब्बास, राकेश अग्रवाल, राकेश तिवारी ने ग़ज़लों का पाठ किया।
श्री शीलकांत पाठक, श्रीमती सुषमा पटेल, श्री राजेन्द्र ओझा, संदीप शर्मा
बिहार से पधारे कवि सागर इंडिया ने मनभावन रचनाओं का पाठ किया।
कार्यक्रम में जमशेदपुर झारखंड से पधारे प्रख्यात कहानीकार मुकुल वर्मा ने अपनी कहानी ‘गौरैया’ का वाचन किया। जिसे श्रोताओं द्वारा बेहद सराहा गया।
मुकुल वर्मा द्वारा ‘मूकदृष्टि’ के नाम से दो छायाचित्र भी प्रदर्शित किए गए। जो बेहद पसंद किए गए। श्री शीलकान्त पाठक जी ने कहा- दोनों चित्र किसी कविता से कम नहीं है। युवा संस्था के संस्थापक एम. राजीव सर ने कहानीकार मुकुल वर्मा की कहानियों का पाठ ‘युवा’ के छात्रों के बीच कराने की इच्छा प्रकट की।