पूर्व पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर के विचारः एमआईटी डब्ल्यूपीयू में यूपीएससी के सफल छात्रों को १५वीं राष्ट्रीय स्तर का सम्मान
पुणे, प्रशासनिक सेवा में काम करते समय सहानुभूति, करुणा और जुनून तीन बहुत चीजें है. जुनून के बिना कोई भी सफल नहीं हो सकता. ऐसे में जुनून के साथ कड़ी मेहनत भी होनी चाहिए. निरंतर सीखने की आदत और अच्छे काम पर ज्यादा जोर देना चाहिए. हमारे कर्म ही हमारी प्रगति के द्वार खोलते है. ये विचार मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त विवेक फणसळकर ने व्यक्त किए. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट और अर्थशास्त्र एवं लोक नीति विभाग द्वारा कोथरुड स्थित एमआईटी डब्ल्यूपीयू के स्वामी विवेकांनद सभागार में संयुक्त रूप से आयोजित संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी प्रतियोगी परीक्षा -२०२४ के १५वें राष्ट्रीय स्तर के समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस अवसर पर लोकसभा की प्रथम महिला पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के पूर्व निदेशक ए.एस. राजन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. प्रसाद खांडेकर, अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य संकाय की डीन डॉ. अंजलि साने, देश से प्रथम स्थान पर आई शक्ति दुबे, तृतीय स्थान पर आए अर्चित डोंगरे और गोपाल वामणे उपस्थित थे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड की अध्यक्षता और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. राहुल विश्वनाथ कराड के मार्गदर्शन में यह समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में देश से प्रथम स्थान पर आए शक्ति दुबे और तृतीय स्थान पर आण अर्चित डोंगरे को क्रमशः एक लाख रुपये नकद और ३० हजार रुपये नकद, शॉल, ज्ञानेश्वर की प्रतिमा और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया. इसके साथ ही १४० सफल अभ्यार्थियों को गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया गया.
विवेक फणसलकर ने कहा, सिविल सेवा में प्रवेश करने का अपना इरादा कभी न भूलें. चूँकि इस सेवा में बडी चुनौतियाँ है, इसलिए आपको यही रहकर उनका सामना करना चाहिए. समाज और देश की प्रगति के लिए उचित लक्ष्य और नीतियां बनाए और उन्हें क्रियान्वित करें. लोक सेवा एक विशिष्ट सेवा है और यह समाज और देश के विकास के लिए होनी चाहिए. प्रशासनिक सेवा में कार्य करते हुए कड़ी मेहनत पर विश्वास रखें. आप जैसा व्यवहार करेंगे समाज से आपको वैसा ही फल मिलेगा. आपको मानवता को प्राथमिकता देते हुए उनके कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए. स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा, प्रशासनिक सेवा एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है. कडी मेहनत के साथ साथ निरंतर सीखने की प्रवृत्ति भी होनी चाहिए. इस सेवा में आत्म संयम और विनम्रता का गुण अपनाना चाहिए. प्रगति के लिए नई चीजें सीखने की प्रवृत्ति के साथ साथ अपने साथ एक डायरी रखनी चाहिए और दिन का चार्ट लिखना चाहिए. सभी के साथ सर्वोत्तम तरीके से व्यवहार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
ए.एस. राजन ने कहा, सेवा कर्तव्य परमो धर्म के आदर्श वाक्य को ध्यान में रखते हुए इसे सर्वोच्च महत्व देना चाहिए. आपकी गलती का खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पडता है. इसलिए सही निर्णय लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी को भी इसका खामियाजा न भुगतना पडे. जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है और इसके माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए. प्रशासनिक सेवा में राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरित रखते हुए कार्य करे. शक्ति दुबे और अर्चित डोंगरे ने राष्ट्र सेवा के अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया.
डॉ. आर.एम.चिटणीस ने परिचयात्मक और स्वागत भाषण दिया. डॉ. प्रसाद खांडेकर ने सभी सम्मानित अतिथियों को अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहने की शथप दिलाई. प्रो.डॉ. गौतम बापट ने कार्यक्रम का संचालन किया. डॉ. अंजलि साने ने सभी का आभार माना.