रायपुर(mediasaheb.com) | कलिंगा विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय के प्राचार्यों एवं आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों के लिए ‘‘नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) के लिए प्रत्यायन प्रक्रिया’’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ। छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार 11 जून 2022 को कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित उक्त कार्यशाला में महाविद्यालयों हेतु नैक मूल्यांकन के लिए प्रमुख बिन्दुओं की जानकारी एवं उसकी तैयारी के संदर्भ में विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
कार्यशाला के प्रथम चरण में कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर, महानिर्देशक डॉ. बैजू जॉन, कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी, अकादमी मामलों के अधिष्ठाता राहुल मिश्रा तथा आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. विजयलक्ष्मी और मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन की आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा की उपस्थिति में ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना करने के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मुख्य अतिथि और छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों का स्वागत करते हुए कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी ने कहा कि-‘‘वर्तमान समय में महाविद्यालय में नवाचार एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हम सभी का मुख्य ध्येय है। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के मू्ल्यांकन हेतु नैक मूल्यांकन का विशेष महत्व है। इस कार्यशाला में अनुभवी एवं विशेषज्ञ विद्वानों के द्वारा नैक मूल्यांकन के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जो हम सभी के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।’’
कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने नैक पर्यवेक्षण के महत्व, आवश्यकता एवं उसकी उपयोगिता से अपनी बात आरंभ करते हुए इससे संबंधित समस्त महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंनें बताया कि शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं के द्वारा महाविद्यालय को मिलने वाले अनुदान का विशेष महत्व होता है। नैक की तरफ से मिलने वाली ग्रेडिंग के द्वारा ही महाविद्यालय की छवि बनती है और विभिन्न संस्थानों के द्वारा पर्याप्त अनुदान प्राप्त होता है। जिससे हम अपने महाविद्यालय के आधारभूत संरचना का सर्वांगीण विकास कर सकेंगे और अध्ययनरत् विद्यार्थियों को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान कर सकते हैं। इसी क्रम में कलिंगा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. बैजू जॉन ने कार्यशाला में उपस्थित समस्त प्राचार्य एवं आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों को नैक मूल्यांकन में दस्तावेजों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मूल्यांकन प्रमुख रुप से सात महत्वपूर्ण मापदंडों पर आधारित होता है। जिसमें विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय का पाठ्यक्रम एवं उसकी रोजगारोन्मुखता, शिक्षण पद्धति, मूल्यांकन पद्धति, परीक्षा कार्य, आधारभूत अधोसंरचना और विद्यार्थियों के द्वारा मिलने वाले फीडबैक, उनकी संतुष्टि का स्तर एवं नैतिक कार्यप्रणाली आदि प्रमुख है। उन्होंने नैक पर्यवेक्षण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के साथ-साथ इन सभी मापदंडों को पूरा करने के लिए प्रपत्रों के संबंध में जानकारी प्रदान किया।
कार्यशाला के अगले चरणों में कलिंगा विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. विजयलक्ष्मी ने नैक प्रक्रिया के परिचय, मात्रात्मक एवं गुणात्मक पैमानों के साथ नैक मूल्यांकन के सभी सात मापदंडों पर विस्तार से प्रकाश डाला और प्राचार्यों एवं आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों की तरफ से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया। उक्त कार्यशाला का संचालन कलिंगा विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. खुशबू साहू ने किया, जबकि आई.क्यू.ए.सी. की प्रभारी डॉ. विजयलक्ष्मी ने आभार प्रदर्शन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. अजय कुमार शुक्ल, डॉ. ए. विजय आनंद, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. परितोष दूबे, डॉ. स्मिता प्रेमानंद, मनीष सिंह, अरुप हलदार, साईमन जाॅर्ज, परमानंद, श्रीमती अनुरिमा दास, श्रीमती सुनैना शुक्ला, सुश्री मरियम अहमद, मो. युनूस और आई.क्यू.ए.सी. प्रकोष्ठ के समस्त कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। कलिंगा विश्वविद्यालय के इस कदम की सबने सराहना की।