रायपुर (mediasaheb.com)| जूलॉजी विभाग, कलिंगा विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल (सीईसीबी) के सहयोग से कलिंगा विश्वविद्यालय परिसर, नया रायपुर, छत्तीसगढ़ में मिशन लाइफ पर “एनवायरोथॉन: ट्रैश टू ट्रेजर” के पहले चरण का आयोजन किया। यह “कचरा प्रबंधन” के व्यापक और चुनौतीपूर्ण वैश्विक मुद्दे को संबोधित करने के लिए कलिंगा विश्वविद्यालय और सीईसीबी के बीच एक सहयोगी प्रयास था। इसका मुख्य फोकस युवाओं को ऐसे समाधानों के लिए रचनात्मक रूप से सोचने की अनुमति देना था, जिनका उपयोग कचरे को प्रभावी ढंग से और कुशलता से पुनर्चक्रित करने में किया जा सकता है।
कार्यक्रम में डॉ. आर. श्रीधर (कुलपति, कलिंगा विश्वविद्यालय), डॉ. सुरेश चंद्रा (वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, सीईसीबी), श्री ए.पी. सावंत (जनसंपर्क अधिकारी, सीईसीबी), श्री आर. आर. सिंह (अधीक्षण अभियंता, सीईसीबी), सुश्री नीलिमा सोनकर (वैज्ञानिक, सीईसीबी), और डॉ. अनीता सावंत (वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीईसीबी) सम्मिलित हुए । सभी गणमान्य लोगों ने कचरा प्रबंधन की समस्या पर विस्तृत चर्चा की । इस कार्यक्रम में सभी विभागीय सदस्य और छात्रों ने लाइफ मिशन प्रतिज्ञा ली और एक हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुए। लाइफ मिशन प्रतिज्ञा श्री ए.पी. सावंत द्वारा संचालित की गई थी जिसमें लाइफ के आकार में एक मानव श्रृंखला बनाई गई थी। गणमान्य लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद के लिए हमें अपनी जीवन शैली और विचारों को कैसे संशोधित करना चाहिए। इस कार्यक्रम विभिन्न में छत्तीसगढ़ के विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों के प्रतिभागियों ने भाग लिया और अपशिष्ट सामग्री के पुनर्चक्रण के लिए विभिन्न समाधानों पर अपने विचारों/कार्यों को साझा किया। छात्र जूलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फॉरेंसिक साइंस और टेक्नोलॉजी बैकग्राउंड से थे। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों में इलेक्ट्रिक वाहन डिजाइन करना, रसोई के कचरे से बायोगैस संयंत्र शुरू करना, जैविक कचरे को डीग्रेड करने के लिए कीड़ों का उपयोग करना, टेट्रापैक की रीसाइक्लिंग पर काम करना, प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग आदि शामिल हैं। छात्रों ने पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन और वर्किंग मॉडल के माध्यम से अपने विचारों को समझाया।