पुणे (mediasaheb.com), देश की एकता और विविधता के प्रतीक भारत के सबसे बडे भारतीय लोक नृत्य महोत्सव ‘जयति जय मम भारतम’ 2025 को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डस में शामिल किया गया है. यूनिवर्सल ट्राइब और रजत रमेश रघतवान के अथक परिश्रम के कारण यह देश के लिए गौरव का विषय बन गया है. साथ ही कोरियोग्रा्रफर सुभाष नकाशे ने नृत्य को एक अलग उंचाई दी है, और संगीत नाटक अकादमी के मनीष मंगाई ने भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया है.

देश के ७६ वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से ‘जयंती जय मम भारतम’ 2025 का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण नंदुरबार जिले का आदिवासी होली नृत्य था, जिसमें भंगरपानी और आडगांव गांवो के 50 आदिवासी कलाकारों ने भाग लिया. इन कलाकारों ने अपनी कला प्रस्तुत की. यह उनके सपनों को पूरा करने की यात्रा थी. दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 45 से अधिक नर्तक हिंदी या मराठी बोल नहीं पाते थे, बल्कि वे केवल अपनी स्थानीय आदिवासी भाषा में ही संवाद करते थे.
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती मनाते हुए आदिवासी नृत्य ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है. 1 महिने की अथक मेहनत के बाद 5 हजार आदिवासी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत यह नृत्य परंपरा की पहचान है. देश में एकता बनी रहे. इस कला के माध्यम से आदिवासी संस्कृति, परंपराएं सुरक्षित रहीं और जनता को पता चला.
कलाकार गौतम खरडे ने कहा, महाराष्ट्र के आदिवासी नृत्य का गौरवशाली क्षण इसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डस में शामिल होना है. आज महाराष्ट्र के इस नृत्य की पहचान पूरी दुनिया तक पहुंचेगी. इस बार हमने होली के दौरान किए जाने वाले भोड्या और बावा नृत्य प्रदर्शन किया है वह शानदार है.
यूनिवर्सल ट्राइब्स और रजत रमेश रघतवान ने इन सभी कलाकारों का खर्च वहन किया है. दिल्ली में आयोजित इस महोत्सव ने महाराष्ट्र के आदिवासी कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. रजत रमेश रघतवान का समर्पण भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया है. यह एक अविस्मरणीय ऐतिहासिक घटना बन गई है.