नई दिल्ली, (mediasaheb.com) इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के ऊपर धोखाधड़ी के आरोप में उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गयी रिट याचिका को याचिकाकर्ता अभय यादव ने गुरुवार को वापस ले लिया है।
इंडियाबुल्स की ओर से इस बाबत प्रेस विज्ञाप्ति जारी कर बताया गया कि याचिकाकर्ता अभय यादव को बरगलाया गया है। कंपनी पर लगाए गए आरोप निराधार थे। मास्टरमाइंड ने शिकायतकर्ता अभय यादव का इस्तेमाल किया था। शिकायतकर्ता को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया। साजिश रचने वाले जल्द बेनकाब होंगे। कंपनी कानूनी कार्रवाई के विकल्पों पर भी विचार कर रही है।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता अभय यादव ने भी अपने बयान में स्पष्ट किया कि मेरे द्वारा हस्ताक्षर किये गये दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया गया है। अभय ने कंपनी पर लगाये गये आरोपों से भी खुद को अंजान बताया है।
उल्लेखनीय है कि 10 जून को 98,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर एक याचिका उच्चतम न्यायालय में इंडियाबुल्स कंपनी के चेयरमैन और निदेशकों के विरुद्ध दायर की गई थी। याचिका में कंपनी , उसके चेयरमैन और निदेशकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी।
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी के चेयरमैन समीर गहलोत और निदेशकों ने जनता के हजारों करोड़ रुपये के धन का हेरफेर करके उसका इस्तेमाल निजी काम में किया।याचिका में आरोप लगाया था कि गहलोत ने स्पेन में एक प्रवासी भारतीय ( एनआरआई) हरीश फैबियानी की मदद से कई सैल कंपनी (मुखौटा कंपनी) खड़ी कीं । इन कंपनियों को आईएचएफएल ने फर्जी तरीके और बिना आधार के भारी मात्रा में कर्ज दिए। याचिका में कहा गया कि यह घोटाला संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारियों और लेखा परीक्षकों , क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।।(हि.स.)।