हाउसफुल 5 ऊंची दुकान के फीके पकवान
मै हमेशा पॉजिटिव समीक्षा करता हु , कभी-कभी इसे लेकर मेरी आलोचना भी होती है पर आज वाकई एक वाहियात फिल्म देखी , दावा किया गया कि ये एक कॉमेडी फिल्म है , पूरी फिल्म में एक भी सीन ऐसा नहीं है कि आप को हंसी आए , हंसी न सही चेहरे पर मुस्कुराहट ही आए…
इतने सारे कलाकार , नाना पाटेकर, संजय दत्त , जैकी श्रॉफ , जानी लिवर, जूनियर बच्चन और ओवर एक्टिंग के बादशाह अक्षय कुमार ..इतनी बड़ी फौज और रिजल्ट शून्य एक निर्माता किस प्रकार एक मूर्ख डायरेक्टर के हाथों करोड़ो का रिसोर्सेज , संसाधन नष्ट करता है , ये फिल्म इसका उदाहरण है ।
गंदे डबल मीनिंग डायलॉग ,कम कपड़े में तीन छोकरी और मजे की बात रत्ती भर का कोई ग्लैमर नहीं , हर जगह ओवर एक्टिंग , कॉमेडी के नाम पर ऊटपटांग हरकते.. हास्य आप जबरदस्ती पैदा नहीं कर सकते , वो सहज होता है याद करिए नाना पाटेकर का उदय भाई वाला रोल , जानी का बंगाली पायलट वाला रोल , आप को अपने आप ही हंसी आती है ।
पूरी फिल्म में कई बार ऐसा लगा कि भाई उठो और घर चलो , फिर सोचा कि रिव्यू लिखना है , सो पूरी देख लेते है ये फिल्म यदि कोई योग्य डायरेक्टर से निर्देशित होती , कॉमेडी सीन को किसी योग्य स्क्रिप्ट राइटर द्वारा लिखाया जाता , तो इतने करोड़ो रूपये खर्च कर, समुद्र के मध्य क्रूज के खूबसूरत लोकेशन में एक बढ़िया कॉमेडी फिल्म बन सकती थी ।
दुख तो तब होता है ये नाडियावाला बैनर की फिल्म है , जिस ने हिन्दी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में दी है ।संगीत भी ऐसा भी ऐसा नहीं कि थियेटर से बाहर निकल , कुछ बोल या उसकी धुन याद रहे । कुल मिला कर एक घटिया फिल्म , परिवार के साथ तो बिल्कुल न जाए , गंदे वाहियात जोक , सीन आप को शर्मिंदा करेंगे
भाई मेरे हिसाब दस में शून्य डॉ.संजय अनंत©