रायपुर (mediasaheb.com)। बस्तर के विभिन्न जनजातीय समाज के प्रमुखों ने नारायणपुर में धर्मान्तरित ईसाइयों के द्वारा की गई हिंसा एवं उससे संबंधित अन्य गतिविधियों को लेकर प्रेस वार्ता की है। प्रेस वार्ता में जनजातीय समाज के प्रमुखों ने बताया कि बीते 31 दिसंबर एवं 1 जनवरी को नारायणपुर के एडका पंचायत के गोर्रा गांव में धर्मान्तरित ईसाइयों की भीड़ ने जनजाति समाज के लोगों पर जानलेवा हमला किया, जिसके बाद कई जनजाति ग्रामीणों को अपनी जान की रक्षा हेतु घटनास्थल से भागना पड़ा। ईसाइयों के इस हिंसक हमले में कई जनजातीय ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हुए। पास्टरर्स और नवधर्मान्तरित ईसाई जिनके नेतृत्व में आदिवासियों पर हमला किया गया, उनके नाम हैं लच्छूराम पिता डुमरी ग्राम चिपरेल, बहादुर पिता मंगलू बोरपाल, लच्छू राम पिता सूदू कनागांव, प्रेमलाल पिता हीरालाल ताड़ोपाल, सोपसिंह पिता मोहन ताडोपाल, रजमन पिता गांडोराम तेरडुल, विजय कचलाम पिता दसरू देवगांव, पुनु राम पिता जग्गू चिपरेल, साधु पिता दुकरु चिपरेल और अन्य। इनके विषय में थाने में शिकायत दर्ज किया गया पर पुलिस इनपर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
प्रेस वार्ता के दौरान समाज प्रमुखों ने बस्तर की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे संभाग में ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मान्तरण की अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इस दौरान मिशनरी के सदस्य भोले भाले जनजातियों को निशाना बनाकर उनका मतांतरण कर रहे हैं। इसके लिए मिशनरियों के द्वारा जनजातीय समाज के ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जा रहे हैं, जिससे दिग्भ्रमित कर उन्हें ईसाई बनाया जा रहा है।
ईसाई मिशनरियों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में चंगाई सभा के नाम पर जनजाति निवासियों को भ्रम के जाल में फंसाया जा रहा है, साथ ही उन्हें यह कहा जा रहा है कि यदि वे यीशु की शरण में आएंगे तो उनके सारे दुःख दूर हो जाएंगे। इन सब के अलावा जनजातीय संस्कृति, पूजा पद्धति एवं रीति-रिवाजों को भी ईसाइयों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। जनजातीय पर्वों के दौरान धर्मान्तरित समूहों के द्वारा इसका विरोध किया जाता है, साथ जनजातियों के देवी-देवताओं का उपहास भी उड़ाया जाता है। यह सभी बातें बस्तर के विभिन्न जनजातीय प्रमुखों ने प्रेस वार्ता के दौरान कही है।
जनजाति समाज के वरिष्ठ नागरिकों ने छत्तीसगढ़ की सरकार और जिला एवं पुलिस प्रशासन पर भी पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हाल ही में नारायणपुर में हुई हिंसा की घटना में प्रशासन निष्पक्ष नहीं है। इसके अलावा जनजातीय नेतृत्वकर्ताओं ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर ईसाइयों से मिले होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब आदिवासी समाज पर ईसाइयों ने प्राणघातक हमले किए तब शिकायत के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बाद जब इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ छिटपुट घटना हुई, तब उसके बाद पुलिस ने जनजातीय ग्रामीणों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया। जनजाति प्रमुखों ने आरोप लगाया है कि ईसाइयों के द्वारा किए गए हमले में जनजातीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि पुलिस बल को भी चोट पहुंची है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जनजातीय समाज के लोगों ने प्रेस वार्ता में कहा कि यदि पुलिस और जिला प्रशासन ईसाई आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई करता तो आदिवासी समाज इतना आक्रोशित नहीं होता। आदिवासी समाज का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की जांच इस मामले में अब निष्पक्ष नहीं रही है, अतः इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
प्रेस वार्ता में जनजातीय प्रमुखों ने मांग की है कि नारायणपुर में जनजातियों पर किए गए हमले के दोषी ईसाइयों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, साथ ही प्रदेश में जिस तरह से धर्मान्तरण की अनैतिक गतिविधियां चल रही है, उस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा पत्रकारों से चर्चा के दौरान जनजातीय समाज के इन नेतृत्वकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी धर्मान्तरण रोकने के लिए कठोरतम कानून बनाए जाए, जिससे जनजातीय हितों की रक्षा की जा सके। जनजातीय समाज ने राज्य सरकार से मांग की है कि नारायणपुर में आदिवासी समाज के जिन निरपराध लोगों को जेल में डाला गया है, उन पर लगे सभी मामले वापस लेकर निःशर्त उनकी रिहाई की जाए।
इस प्रेस वार्ता के दौरान एडक़ा ग्राम पंचायत के गोर्रा गांव के रनाय उसेंडी, सियाबत्ती दुग्गा, मोड़ा राम कौड़ो, मगलूराम नेताम और राजाऊ राम उसेंडी भी मौजूद थे, जिन पर ईसाइयों ने प्राणघातक हमला किया था। प्रेस वार्ता में पत्रकारों को इन पीड़ितों ने पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया और जानकारी दी कि कैसे ईसाइयों की विशाल भीड़ ने उनपर और उनके साथियों पर हमला किया था। इसके अलावा इस प्रेस वार्ता में भतरा समाज से अंतराम कश्यप एवं सोनाध कश्यप, धुरवा समाज से गाघरा राम नाग एवं जयराम नाग, कोया समाज से जुल्कुराम मंडावी एवं सुखदेव मंडावी, कोया समाज से कमलूराम करकामी एवं लुदरु राम करकामी, जनजाति सुरक्षा मंच से भोजराज नाग और सर्व आदिवासी समाज से राजाराम तोड़ेम समेत विभिन्न जनजातीय गण मौजूद थे।