नई दिल्ली (mediasaheb.com)| संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आकाशवाणी ने 15 एपिसोड की शास्त्रीय संगीत श्रृंखला ‘हर कंठ में भारत’ का सफलतापूर्वक समापन किया। यह श्रृंखला 2 फरवरी, 2025 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर शुरू की गई थी। इसे देश भर के 21 आकाशवाणी केन्द्रों से प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे प्रसारित किया गया। यह 16 फरवरी, 2025 को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
‘हर कंठ में भारत’ कार्यक्रम को भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया था। इसमें देश भर के प्रतिष्ठित कलाकारों के गायन और वाद्य प्रदर्शनों की एक श्रृंखला शामिल थी। इस श्रृंखला ने पूरे देश में श्रोताओं को प्रभावित किया, सांस्कृतिक रूप से गहन अनुभव को बढ़ाया और लोगों को भारतीय संस्कृति में गहराई से समाहित संगीत विरासत के करीब लाया।
भविष्य के लिए प्रदर्शन कलाओं को सशक्त बनाने हेतु सहकार्य
आकाशवाणी और संस्कृति मंत्रालय के इस सहयोगात्मक प्रयास को देशभर के दर्शकों ने खूब सराहा। सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में आकाशवाणी की ऐतिहासिक भूमिका ने वास्तव में ऐसी रचनात्मक साझेदारियों के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ है और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए नए रास्ते खोले हैं। इस सहयोग के पीछे की सोच समकालीन युग में प्रदर्शन कलाओं को संरक्षित करने और युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ने के महत्व को दर्शाना था।
शास्त्रीय कलाओं को 15 दिवसीय सम्मान –15-दिवसीय कार्यक्रम पर सरसरी निगाह डालने से विभिन्न शहरों में हिंदुस्तानी और कर्नाटक दोनों ही भारतीय शास्त्रीय संगीत शैलियों की प्रदर्शन कला और कलाकारों की समृद्ध प्रस्तुति के बारे में गहन जानकारी मिलती है। कुछ उदाहरणों के हवाले से कहें तो, आकाशवाणी जालंधर ने मोहन श्याम शर्मा के पखावज वादन के साथ श्रृंखला की शुरुआत की, जबकि आकाशवाणी पुणे ने प्राजक्ता मराठे के गायन के साथ शुरुआत की। आकाशवाणी चेन्नई ने रुक्मिणी कन्नन के वीणा वादन के साथ लय जारी रखी। वहीं देश के पूर्वी छोर में आकाशवाणी कटक ने पंडित देबा प्रसाद चक्रवर्ती का सितार वादन प्रस्तुत किया। दक्षिण में आकाशवाणी त्रिशूर भी एस. पद्मा के वायलिन वादन की धुन पर जीवंत हो उठा।
इस श्रृंखला के दौरान इंदौर, धारवाड़, अगरतला, लखनऊ और गुवाहाटी की हवाएं सारंग फगरे के गायन, राजकमल नागराज के बांसुरी वादन, गीता रामानंद के वीणा वादन, एचएस सुधींद्र के मृदंगम वादन, टीएस कृष्णमूर्ति के वायलिन वादन, शिल्पा शशिधर के गायन और प्रकाश सोनटक्की के हवाईयन गिटार वादन की धुनों से गूंज उठीं। ये तो बस कुछ उदाहरण थे।
‘हर कंठ में भारत‘ ने श्रोताओं को प्रेरित किया – ‘हर कंठ में भारत’ कार्यक्रम को पूरे प्रसारण के दौरान श्रोताओं से जबरदस्त सराहना मिली। इससे भारतीय शास्त्रीय संगीत की शाश्वत अपील की पुष्टि होती है। आकाशवाणी और संस्कृति मंत्रालय भारत की समृद्ध संगीत परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और भविष्य में दर्शकों के लिए इस तरह का और समृद्ध संगीत लाने के लिए तत्पर हैं। (स्त्रोत-पीआईबी)