रायपुर (mediasaheb.com) । छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 फ़ीसदी, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 फ़ीसदी, ओबीसी वर्ग के लिए 27 फ़ीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान है। राज्य में अब कुल आरक्षण 76 प्रतिशत होगा।
राज्य सरकार ने आबादी के आधार पर आरक्षण तय किया है। विधानसभा में संशोधन विधेयक पास होने के बाद राज्य सरकार के मंत्रियों के समूह ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की। राज्यपाल के विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। विपक्ष की ओर से एससी वर्ग को 16 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को दस प्रतिशत आरक्षण देने का संशोधन पेश किया गया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
आरक्षण विधेयक पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को बधाई दी और कहा कि बहुत अच्छा बोले, बेहतर सुझाव दिए। विपक्ष को दो महीना 10 दिन बहुत बड़ा लगा लेकिन 2012 में आरक्षण लागू करने के बाद 6 साल इन्हें बहुत कम लगा।
भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा के पास अपने प्रभारियों को बताने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन काल में आरक्षण का विषय था। भाजपा में मंत्रियों की कमेटी बनी, लेकिन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी हाई कोर्ट में सबमिट नहीं की। क्वावांटिफाबल डाटा आयोग 7 साल में भाजपा नहीं बना पाई। जब हमारी सरकार आई तो हमने आयोग बनाया और उसकी रिपोर्ट भी 3 साल में आ भी गई, जबकि 2 साल कोरोना में बीता है।
छत्तीसगढ़ के जंगली इलाकों में जो लोग रह रहे हैं। उनकी स्थिति कमजोर है। आरक्षण में उन्हें स्थान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार से कहा कि जनगणना करा लें, हम भी संख्या के आधार पर एस सी वर्ग को 16 प्रतिशत आरक्षण देंगे।
हमारे मंत्री आज ही राजभवन जाएंगे। राज्यपाल से बिल पर दस्तख़त करने का आग्रह करेंगे। आरक्षण बिल की मंशा भी उन्हीं की थी। भूपेश बघेल ने कहा कि अनुसूची 9 में शामिल करने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्य मिलकर चलें। छत्तीसगढ़ में अब कुल आरक्षण 76 फ़ीसदी होगा। राज्यपाल की मंज़ूरी के लिए आज ही बिल भेजा जाएगा।
इससे पहले चर्चा के दौरान आरक्षण विधेयकों पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई, सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है। सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया, पहले डाटा पेश कर देते। फिर कानून बना लेते ।सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी।चर्चा के दौरान सरकार से विपक्ष ने एससी वर्ग को 16 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की।
विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि अनुसूचित जाति का आरक्षण 13 से बढ़ाकर 16 और ईडब्ल्यूएस का आरक्षण 4 फ़ीसदी से बढ़ाकर 10 फ़ीसदी कर दिया जाए। धर्मजीत ने सुझाव में कहा कि आरक्षण को लेकर कोई कोर्ट में याचिका लगाए इससे पहले कैविएट दाखिल कर दिया जाए। विपक्ष ने सदन के पटल पर क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को नहीं रखने पर आपत्ति दर्ज कराई। विपक्षी विधायकों ने कहा कि सदस्यों को डाटा आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि प्रदेश में किस वर्ग की कितनी जनसंख्या है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में कहा कि भाजपा के लोगों को आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने का समय मिला, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में रखा नहीं गया, जिससे लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा।(हि.स.)