भौगोलिक कठिनाइयों की श्रेणी में 22वां नंबर
नई दिल्ली (mediasaheb.com)। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के पालन में छत्तीसगढ़ को देशभर में 19वां नंबर पर रखा गया है, जबकि भौगोलिक दिक्कतों के बीच पालन करने में 22वां नंबर है। सामान्य श्रेणी के राज्यों में एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक में ओडिशा को शीर्ष स्थान पर रखा गया है, इसके बाद उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर हैं। विशेष श्रेणी के राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में त्रिपुरा पहले स्थान पर और उसके बाद क्रमश: हिमाचल प्रदेश और सिक्किम हैं। इसके अलावा, 3 केंद्रशासित प्रदेशों में जहां प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) – नकद संचालित है, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव शीर्ष स्थान पर है।
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा यहां ‘भारत में खाद्य पोषण और सुरक्षा’ विषय पर आयोजित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान ‘एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक’ का पहला संस्करण जारी किया। दिन भर चलने वाले सम्मेलन में उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुश्री साध्वी निरंजन ज्योति के साथ खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे सहित 8 राज्यों के खाद्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक राज्यों के साथ परामर्श के बाद देश भर में एनएफएसए के कार्यान्वयन और विभिन्न सुधार पहलों की स्थिति और प्रगति का दस्तावेजीकरण करने का प्रयास करता है। यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किए गए सुधारों पर प्रकाश डालता है और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा एक क्रॉस-लर्निंग वातावरण और स्केल-अप सुधार उपायों का निर्माण करता है। वर्तमान सूचकांक काफी हद तक एनएफएसए वितरण पर केंद्रित है और इसमें भविष्य में खरीद, पीएमजीकेएवाई वितरण शामिल होगा। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग के लिए सूचकांक तीन प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है जो टीपीडीएस के माध्यम से एनएफएसए के एंड-टू-एंड कार्यान्वयन को कवर करता है। ये स्तंभ हैं: एनएफएसए- कवरेज, लक्ष्यीकरण और अधिनियम के प्रावधान, डिलीवरी प्लेटफॉर्म और पोषण संबंधी पहल। श्री गोयल ने कहा कि तेलंगाना, उड़ीसा, झारखंड, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम और नगालैंड राज्यों की अनुपस्थिति एक प्रकार से कमी को दर्शाती है।