रायपुर (mediasaheb.com)| कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष को भेजे एक पत्र में अमेज़ॅन पर बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के खिलाफ अनैतिक प्रथाओं और प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं का उपयोग करने का आरोप लगाया है। हाल ही में यह बात सामने आई है कि अमेज़न जानबूझकर उपभोक्ताओं को प्राइम मेंबरशिप लेने के लिए मजबूर कर रहा है और इसे बाद रद्द करना लगभग असंभव बना रहा है।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया कि कैट ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) ई-कॉमर्स में एक असमान खेल का मैदान बनाने के लिए अपनी मौजूदा मार्केट पर प्रभाव का दुरुपयोग करने के लिए अमेज़ॅन के खिलाफ एक बड़ा मामला स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि यह पता चला है कि एफटीसी अमेज़ॅन के खिलाफ अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग करके उसी की तरह कुछ विक्रेताओं को दूसरों के ऊपर लाभ पहुंचाने के विरोध में एक व्यापक मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में है। अमेज़न यही काम भारत में 2013 से अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू करने के बाद से करता आया है। एफटीसी ने आरोप लगाया है कि अमेज़ॅन अपनी रसद और वितरण सेवाओं का उपयोग करने वाले व्यापारियों को पुरस्कृत करने और इन सेवाओं का उपयोग नहीं करने वालों को दंडित करने के लिए अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।
दोनो व्यापारी नेताओं ने आगे कहा कि इसकी लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी सेवाओं के लिए लिया जाने वाला शुल्क अन्य प्लेटफ़ॉर्म शुल्क जैसे विज्ञापन, भंडारण और निश्चित लागत आदि पर खर्च के अतिरिक्त है, जो यह विक्रेताओं से लेता है। अमेज़ॅन द्वारा अपने प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत विक्रेताओं से लिया जाने वाला कुल प्लेटफ़ॉर्म शुल्क 2016 में 35 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है। इसका मतलब है कि 100 डॉलर में उत्पाद बेचने वाले विक्रेता के पास केवल 50 डॉलर बचते हैं, जिसमें से उन्हें अपनी सभी लागतों का भुगतान करना पड़ता है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने आगे कहा कि एफटीसी ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेज़ॅन के “बाय-बॉक्स“ के लिए सर्वश्रेष्ठ विक्रेताओं को चुनने के एल्गोरिदम में लगातार धांधली हुई है और वह एल्गोरिदम की भी जांच शुरू करेगा। बाय बॉक्स एक ऐसी सुविधा है जो उपभोक्ताओं को कई चरणों से बचते हुए उत्पादों को सीधे अपने कार्ट में जोड़ने की अनुमति देती है और उत्पादों को खरीदना बेहद आसान बनाती है।
दोनो व्यापारी नेताओं ने आगे बताया कि अमेज़न भारत मे भी ऐसी प्रथाएं अपनाता आ रहा हैं जहां यह छोटे स्वतंत्र विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को न चुन कर कुछ पसंदीदा/नियंत्रित/संबंधित विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं का पक्ष ले रहा है। अमेज़ॅन अपने पसंदीदा विक्रेताओं को आपूर्ति किए गए उत्पादों पर गहरी छूट दे रहा है, अपने पसंदीदा विक्रेताओं द्वारा प्रेडट्री प्राइसिंग निर्धारण को समर्थन कर रहा है, इन पसंदीदा विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को घाटे पर भी फंडिंग कर रहा है, और इन पसंदीदा विक्रेताओं से मामूली या नाममात्र प्लेटफ़ॉर्म शुल्क ले रहा है और इन्ही विक्रेताओं को विज्ञापन की सेवाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने ने बताया कि भारत की एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा कानून ढांचे के उल्लंघन के लिए ईडी और सीसीआई के समक्ष अमेज़ॅन के खिलाफ कई जांच लंबित हैं। इसलिए कैट ने सीसीआई से लंबित जांच में तेजी लाने और सभी चल रही जांच पूरी होने तक भारत में अमेज़न के संचालन को निलंबित करने के लिए निर्देश पारित करने का आग्रह किया है।