रायपुर ( mediasaheb.com) जम्मू-कश्मीर से Article 370 और 35- A को खत्म करने के खिलाफ छत्तीसगढ़ की 5 वामपंथी पार्टियों ने शुक्रवार को नागरिक-प्रतिवाद प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार के इस कदम को देश के संघीय ढांचे, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और कश्मीरियत पर खुला हमला बताया।
वामपंथी नेताओं ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय की प्रक्रिया अन्य देशी रियासतों के विलय से भिन्न थी, इसीलिए कश्मीर की जनता की अस्मिता, पहचान और स्वायत्तता की रक्षा का वादा तत्कालीन भारत सरकार ने किया था और इसे पूरा करने के लिए संविधान में धारा 370 का प्रावधान किया गया था। इसलिए मोदी सरकार का यह कदम न केवल जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ विश्वासघात है, बल्कि राष्ट्रीय एकता व संघीय गणराज्य की अवधारणा पर ही हमला है, जो देश में किसी भी प्रकार की विविधता को बर्दाश्त करने के लिए ही तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम पारस्परिक राजनैतिक संवाद के जरिये कश्मीर समस्या को हल करने के उसके वादे के भी खिलाफ है, जो उसने संसद में तीन साल पहले दिया था। इसके बजाय उसने मुख्य राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को गिरफ्तार करने व जनता की आवाजाही को प्रतिबंधित करने का ही तानाशाहीपूर्ण कदम ही उठाया है। इससे घाटी में अलगाववाद की भावना और मजबूत होगी।
वाम नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने ही जून महीने में नागालैंड में अलग झंडे, अलग पासपोर्ट पर सहमति दी है और धारा 370 जैसे प्रावधान ही धारा 371 के रूप में नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्रप्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा व हिमाचल प्रदेश में लागू है, जहां बाहरी प्रदेश का कोई निवासी जमीन नहीं खरीद सकता। वामपंथी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने दरअसल जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के मुस्लिम विरोधी संघी एजेंडे को ही लागू किया है।
पांचों वामपंथी पार्टियों ने अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलने श्रीनगर गए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी राजा की गिरफ्तारी और उन्हें शहर में प्रवेश न देने की भी तीखी निंदा की है।
रायपुर में हुए प्रदर्शन में माकपा के संजय पराते, एम के नंदी, बी सान्याल, धर्मराज महापात्र, भाकपा के विनोद सोनी, भाकपा (माले-लिबरेशन) के बृजेन्द्र तिवारी, भाकपा (माले-रेड स्टार) के सौरा यादव, तेजराम साहू और एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हरोड़े, आत्माराम साहू के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों से जुड़े सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।