‘पिल्लर्स ऑफ क्रिएशन, इगल नेबुला’का लिया फोटो दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज की मूर्ति को समर्पित
पुणे (mediasaheb.com), एमआयटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के विश्वरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशाला के कॉसमॉस एस्ट्रोनॉमी क्लब ने हाल ही में छह अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित पिल्लर्स ऑफ क्रिएशन, इगल नेबुला की तस्वीर ली है. आज इस तस्वीर को एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर माऊली की प्रतिमा को लोकार्पण किया. छात्र एवं शिक्षकों का कॉसमॉस क्बल की आज प्रथम वर्षगांठ मनाई गई है. इस अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, प्र कुलपति डॉ.मिलिंद पांडे, प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक रानडे और गिरीश दाते उपस्थित थे.
इस अवसर पर विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, संपूर्ण ब्रह्मांड ईश्वर की ही छवि है. यह बात दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर ने कही थी. कॉसमॉस क्लब के विद्यार्थियों ने ज्ञानेश्वर माऊली को इगल नेबुला का चित्र भेंट कर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है, जो अपनी असाधारण बुद्धि और योगशक्ति से ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करते है.
यहां पर प्रो.डॉ. विपश्वनाथ दा. कराड ने विश्वविद्यालय के भौतिक विभाग के एचओडी प्रसाद जोगलेकर, विभाग प्रमुख प्रो. अनघा कर्णे और छात्र टीम के छात्र प्रतिनिधियों में ओजस धुमाल, रोहित देशमुख, नमन अग्रवाल, श्रेष्ठ गुप्ता, मल्हार झाडकर, अस्मित राय, पायल मोदी, वरूण नायर, अपर्णा सुब्रमण्यम, इमैनुअल आनंदन को मेडल और ज्ञानेश्वर माऊली की तस्वीर देकर सम्मानित किया गया. साथ ही खगोलीय प्रेक्षण में रूचि रखने वाले पुणे के नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में विश्वरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशाला का भ्रमण करने की अपील प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने की है.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले संस्थान एमआईटी स्कूल ऑफ कॉन्शियसनेस एंड रियलिटी में चेतना की ब्रह्मांडीय प्रकृति पर अनुसंधान किया जा रहा है. प्रसिद्ध कैंसर शोधकर्ता और वैज्ञानिक डॉ. जयंत खंडारे इस संस्था के प्रमुख है. तथा न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक रानडे उनके सहयोगी है.
ब्रह्मांड के अवलोकन और अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा शुरू की गई विश्वरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशाला का निर्माण एमआईटी के इको पार्क पहाड़ी पर किया गया है. यहां कुल तीन दूरबीने स्थापित की गई है. इसमें दो जिएसओ दूरबीने, एक ८ इंच न्यूटोनियन और एक 10 इंच रेचे्रसियन, तथा यूनिस्टेलर इव स्कोप दूरबीन शामिल है. इस वेधशाला से गहरे आकाश के चित्र लिये जा सकते है. इनमें चंद्रमा, निहारिकाओं, ग्रहो, तारें, आकाशंगगाओ और धूमकेतुओं की तस्वीरें शामिल हैं. जो 50 हजार साल में एक बार दिखाई देती हैं.