माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्थान का 43 वी वर्षगांठ उत्साह से मनाई
पुणे, (mediasaheb.com)| शिक्षा के प्रचार-प्रसार का उद्देश्य क्या है, यह चिंतन का विषय है. शिक्षा का केंद्र व्यक्ति है और उसका सर्वांगीण विकास ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।” ये विचार श्रुतिसागर आश्रम, फुलगाँव के संस्थापक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने व्यक्त किए. वे माईर्स एमआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के 43वें वर्षगांठ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. संजय देशमुख ने निभाई. साथ ही, अमेरिका के गरीबे इंस्टीट्यूट फॉर सॉफ्ट पावर एंड पब्लिक डिप्लोमेसी के संस्थापक और ग्रैमी पुरस्कार विजेता प्रो. फर्नांडो गरीबे और गरीबे इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष रोनाल्ड सी. गुनेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
साथ ही, माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष, विश्वधर्मी प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, ट्रस्टी प्रो. प्रकाश जोशी, अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड, ट्रस्टी एवं सचिव प्रो. स्वाति कराड-चाटे, ट्रस्टी डॉ. विनायक घैसास, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति प्रो. डॉ. रविकुमार चिटनिस उपस्थित थे.
इस अवसर पर, डॉ. संजय उपाध्ये द्वारा लिखित और प्रो. शशांक दिवेकर द्वारा प्रस्तुत “गीत विश्वनाथ, विश्वधर्मी विश्वनाथ शोध विश्वशांतिचा: यात्रा वचनपूर्ति” शीर्षक से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, “यदि शिक्षा के माध्यम से छात्रों के बुद्धि और मन का विकास होता है, तो सामाजिक स्वास्थ्य अक्षुण्ण रहेगा. मन को विकसित करने वाली मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली आवश्यक है और केवल सच्ची शिक्षा ही व्यक्तित्व का विकास कर सकती है.”
प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, “यह शिक्षण संस्थान मूल्य-आधारित नागरिक निर्माण की भावना से कार्यरत है. अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही विश्व में शांति स्थापित होगी. यह संस्थान विश्व शांति के लिए छात्रों में मानवतावाद के सार्वभौमिक सिद्धांतों को स्थापित करने का प्रयास कर रहा है.”
प्रो. फर्नांडो गरिबे ने कहा, विश्व में जहाँ वर्तमान विसंगतियों और मतभेदों से जूझ रहा है, “ऐसे समय आंतरिक ज्ञान की खोज करना महत्वपूर्ण है. छात्रों को ज्ञान के साथ-साथ आंतरिक ज्ञान की भी खोज करनी चाहिए और सार्वभौमिक मानवता का जीवन जीना चाहिए.”
संजय देशमुख ने कहा, “विश्व शांति का मंत्र देने वाले संत ज्ञानेश्वर महाराज ने पसायदान के माध्यम से विश्व बंधुत्व का मार्ग दिखाया है. यह शिक्षण संस्थान शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी में पसायदान के सार्वभौमिक विचार को स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है.”
माईर्स के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल कराड ने दृश्य-श्रव्य माध्यम से संस्थान के कार्यों का अवलोकन प्रस्तुत किया.
इसके बाद, माईर्स शैक्षणिक संस्थान समूह की विभिन्न शाखाओं के उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नकद राशि और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. साथ ही, माईर्स शैक्षणिक संस्थान के कोषाध्यक्ष और न्यासी डॉ. सुनील कराड को संस्थान में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए गोल्डन हॉल ऑफ फेम से सम्मानित किया गया. माईर्स के अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड ने परिचय दिया. कार्यक्रम का संचालन माईर्स के कुलसचिव डॉ. रत्नदीप जोशी और प्रो. स्वाति कराड चाटे ने आभार माना.