*एक राजपरिवार ऐसा भी …*
(कुमार दिलीप सिंह जूदेव जयंती)
बिलासपुर (mediasaheb.com), दिलीप सिंह जूदेव जी को राजनेता के रूप में नहीं ,उस महान कार्य के लिए, जो उन्होंने जीवन पर्यन्त किया ,घर वापसी अभियान
हमारे अपने स्वजन या उनके पूर्वज जो किसी कारणवश ईसाई मिशनरियों के झांसे में आ कर ईसाई बन गए थे , उनके चरण धो कर , सम्मान उनकी मूल संस्कृति में वापस लाना, इस पुनीत कार्य के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
आज पूरा देश विदेशी मिशनरियों के षडयंत्र में जकड़ा हुआ है, अरबों डॉलर विदेशों से आ रहा है , मिशनरी किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की तरह साम दाम दंड और भेद का अनुप्रयोग कर निर्धन तबके का , जनजातियों का धर्मांतरण कराने में जुटे है।
जशपुर कुमार श्रीमंत दिलीप सिंह जूदेव ने आजीवन , बिना अपने जीवन की परवाह किए, इस पुनीत कार्य में जुटे रहे
हजारों जनजाति जन इस प्रयास के कारण पुनः सनातन मत में लौटे ..
सोचिए तो ,ह्रदय द्रवित हो जाता है, कैसे एक राजपरिवार का कुमार बिना किसी अहंकार के, कैसे निर्धन जनजाति बंधुओं और बहनों के चरणों को अपने हाथों से धो कर उन्हें पुनः सनातन में वापस लाता है आज उनके वंशज कुंवर प्रबल प्रताप जूदेव जी इसी कार्य को आगे बढ़ा रहे है
आश्चर्य तो तब होता है जब राष्ट्रीय मीडिया इतने बड़े विषय पर मौन रहता है आज पूरे देश में जनसंख्या संतुलन तीव्रता से बदल रहा है , सनातनी आने वाले वर्षों में अधिकांश राज्यों में अल्पसंख्यक हो जायेगे।
वर्षो पूर्व ,जब मैं मैट्रिक का छात्र था तब कुमार दिलीप सिंह जूदेव जी मिलने का सौभाग्य बिलासपुर के इंडियन काफी हाउस में मिला था , मैने उन से ऑटोग्राफ लिया , उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई और ऑटोग्राफ दिया और लिखा देश के लिए जीना सीखे आज वर्षो बाद , जब उनके पुत्र कुंवर प्रबल प्रताप जी से मिला और वृहत चर्चा का अवसर मिला, तो उनके महान पिता का वही अंदाज़ दिखा। हम सब यदि ठान ले तो,विदेशी ईसाई मिशनरियों को देश छोड़ना होगा,जैसे अंग्रेज विवश हो कर गए थे। पूज्य महात्मा गांधी जी ने ईसाई
मिशनरियों के षडयंत्र को सब से पहले समझा था, वे जानते थे ये धर्मांतरण , भारत को नष्ट करने के लिए है , उन्होंने आजीवन मिशनरियों की आलोचना की , उनके विरोध में आलेख लिखे ।
आज जूदेव जी की जयंती पर उनके समक्ष शीश अपने आप झुक जाता है ,विराट व्यक्तित्व, निर्मल मन..देश ,समाज के लिए समर्पित तन और मन..इसलिए हमारे छत्तीसगढ़ में ,उनको जन सामान्य पूजता है जब वो आम जन के मध्य होते तो हर कंठ से एक ही स्वर निकलता जय जूदेव जय जूदेव सारा गगन गूंजा उठता
*डॉ संजय अनंत*
Wednesday, July 2
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