बिलासपुर (mediasaheb.com)| (पुण्यतिथि 🌹) जॉनी वॉकर यानि गुरूदत्त की टीम के अनिवार्य मेंबर.. जॉनी साहब ने अपने एक संस्मरण में कहां,वे पहली बार गुरूदत्त जी के साथ कोलकाता गए, गुरूदत्त ने जीवन के कई वर्ष कोलकाता में बिताए थे, कोलकाता की गली गली से वाकिफ, कोलकाता का प्रसिद्ध स्ट्रीट फ़ूड, कहां क्या अच्छा मिलता है, गुरूदत्त को सब पता था, अच्छी खासी बांग्ला बोल लेते थे, एक जगह गुरूदत्त उन्हें ले गए और वहाँ सड़क पर फुचका ( गुपचुप,पानीपुरी कोलकाता में फुचका कहते है), बड़े चाव से खाने लगे, तभी वहाँ आवाज़ लगाता एक तेल मालिश वाला निकला, गुरूदत्त ने जॉनी वॉकर की ओर इशारा करते हुए कहां, फ़िल्म प्यासा में यहीं तुम्हारा करेक्टर है, ध्यान से देखो, और जानी साहब उसे ध्यान से देखने लगे.. रफ़ी साहब की आवाज़ में वो मज़ेदार, जानी साहब पर फिल्माया गीत, जो आज भी लोकप्रिय है
सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए आज प्यारे पास हमारे काहे घबराये 🎵🎵🎵🎵
एक दौर था, ज़ब जानी वाकर सब से व्यस्त कॉमेडियन थे हिन्दी सिनेमा के, उनका रोल हीरो के बराबर न सही पर छोटा नहीं होता था, उन पर गाने फिल्माए जाते, उनकी पहचान किसी हीरो से कम नहीं थी, फ़िल्म Mr& Mrs 55 में उनके साथ परदे पर थी खूबसूरत यास्मीन और उन पर फिल्माया ये गीत अब कलर में भी उपलब्ध है , बहुत लोकप्रिय जिसे रफ़ी और गीता दत्त ने गाया..
जाने कहां मेरा जिगर गया जी 🎵🎵
उनकी बोलने की अदायगी एकदम जुदा, आवाज़ सुन कर समझ सकते है ये जॉनी वॉकर है,
हँसाया, गुदगुदाया किन्तु कभी कोई अश्लील हरकत नहीं, कोई डबल मीनिंग संवाद नहीं, बहुत ही स्तर की कॉमेडी
आप कह सकते है उन्हें वैसी संगत मिली, गुरूदत्त, देव साहब, दिलीप साहब जैसे उम्दा कलाकारो का साथ काम किया ..
वे इंदौरी थे, उनके पिता वहाँ एक मिल में काम करते थे, नौकरी छूटी तो परिवार के साथ मुंबई आ गए, वहाँ बेस्ट में बस कंडक्टर बन गए, यात्रियों के सामने दूसरों की नकल कर मनोरंजन किया करते और एक बार बलराज साहनी साहब की नज़र उन पड़ी तो, उन्हें लगा की ये बंदा टेलेंट है, गुरुदत्त के पास ले गए और उन्होंने अपनी फ़िल्म. बाज़ी में उन्हें मौका दिया..
बस यहाँ से सफऱ शुरू हुआ, फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा फ़िल्म सी आई डी, मधुमति, प्यासा, चौदहवी का चाँद करीब 300 फ़िल्म. उनकी अंतिम यादगार फ़िल्म थी, चाची 420 कमला हसन साहब की..
ज़ब भी परदे पर आए, लोगो को खूब हँसाया.. फ़िल्म. मधुमति और फ़िल्म मेरे महबूब के लिए फ़िल्म फेयर भी मिला..
जिंदगी में बहुत गरीबी भी देखी और फिर दर्शकों का आपार स्नेह भी मिला शोहरत दौलत सब कुछ..
बहुत ही शानदार इंसान, दिल खोल कर बात करने वाले..
अभी कुछ दिन पहले टीवी पर गुरूदत्त साहब की क्लासिक फ़िल्म चौदहवी का चाँद देखी, रहमान साहब की अदाकारी, वहीदा रहमान की खूबसूरती और इस संजीदा फ़िल्म में अपनी कॉमेडी से दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाते जॉनी साहब..
फिर वही रफ़ी साहब की आवाज़
मेरा यार बना है दूल्हा फूल खिले है दिल के मेरी भी शादी हो जाए दुआ करें सब मिल के 🎵🎵
और इस गाने पर शहनाई बजाते परदे पर जॉनी वॉकर 😄 वैसे मै बहुत कुछ लिखता उनके विषय में, पर ब्लॉग लम्बा हो जाएगा.. ख़ैर फिर कभी.. संजय अनंत©
Wednesday, October 30
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