
इस गीत के मुख्य भाव में भारत भूमि को माता कहकर संबोधित किया गया था,यह गीत बाद में उनके 1882 में आए उपन्यास *आनंदमठ* में भी शामिल किया गया था ।ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया। वन्देमातरम गीत की धुन स्वयं गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर ने तैयार की थी.. अनेक कालजयी उपन्यास, कथा, गीत उनकी लेखनी लिखें गए राष्ट्रीय नव जागरण के पितामह को शत् शत् नमन
*संजय अनंत ©*
