वीर सावरकर, जिनकी आज जयंती हैं
बिलासपुर (mediasaheb.com), सावरकर के जीवन के, उनकी विचार यात्रा के कुछ प्रसंग ऐसे हैं जिन पर चर्चा कम होती हैं,इतना विराट व्यक्तित्व,कुछ बाते, कुछ कार्य जिसका सनातनी रूढ़िवादियों में खुला विरोध किया, कभी लगा की सावरकर टूट जाएंगे,पर वो किसी और ही मिट्टी के बने थे हिन्दू समाज की वो पहली घटना थी, जब सावरकर स्थापित पतित पावन मंदिर रत्नागिरी में सनातनी हिन्दुओ ने बिना जाती भेदभाव के एक साथ भोजन किया था,सावरकर यही नहीं रुके निम्न समझी जाने वाली जातियों के बच्चों का उपनयन संस्कार किया,महाराष्ट्र के उनके अपने स्वजातीय क्रोधित हुए, विरोध किया
ये वो नींव हैं जिस पर भविष्य में अन्य महापुरुषों ने प्रेरणा पा आगे एकात्म हिंदुत्व के भाव क़ी इमारत खड़ी क़ी सावरकर मूलतः आधुनिक, वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति थे, लंदन में रहे पढ़े, पूरे यूरोप के इतिहास को गहनता के साथ पढ़ा, चिंतन किया, सावरकर का हिंदुत्व विशुद्ध राजनैतिक हैं, वो आधुनिक हैं, विज्ञान सम्मत हैं और यथार्थ वादी हैं,वे स्वयं किसी पूजा पद्धति से नहीं जुड़े थे न ही कर्मकांड पर उनकी कोई निजी रूचि गौ हत्या पर सावरकर के विचारों को कोई भी आतिवादी हिन्दू संगठन स्वीकार नहीं करेगा, गौ के विषय में सावरकर के विचार विश्व हिन्दू परिषद या बजरंग दल वाले कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे सावरकर का मानना था क़ी गौ हत्या पर ज्यादा तूल न दे, गाय अन्य पशुओ क़ी तरह एक पशु ही हैं, जातिवाद के कट्टर विरोधी और उनके हिंदुत्व में हम सभी हिन्दू एक,न कोई छोटा न कोई बड़ा,ये वो विषय हैं जिन पर आज उनकी जयंती पर कोई हिन्दू वादी नहीं बोलेगा। *संजय ‘अनंत ©’*