लिविंग लीजेंड गायक येसुदास आज़ 84 वर्ष के हुए
आज उनके जन्मदिन पर संजय अनंत का विशेष आलेख…
बिलासपुर (mediasaheb.com)| रविन्द्र जैन देख नहीं सकते थे, उन्होंने कहां था ” यदि ईश्वर मुझे देखने की शक्ति दे, तो सब से पहले येसुदास को देखना चाहूंगा ” कृष्ण व स्वामी अयप्पा के अनन्य भक्त येसुदास जन्म से ईसाई है.. ये वो पवित्र आवाज़ है जो दक्षिण भारत के सब से पवित्र तीर्थ भगवान स्वामी अयप्पा के मंदिर में गूंजती है, मानो भगवान अयप्पा उनकी प्रार्थना से जागृत व प्रसन्न होते हो.. हरिवरासनम, शरणम् अयप्पा.. दक्षिण भारत में भक्तों के नयन सजल हो जाते है |
हिन्दी, मलयालम, तमिल, बांग्ला, पंजाबी, तेलगु मराठी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में गाया, महान गायक और उतने ही महान इंसान येसुदास जी का पूरा नाम है कट्टासेरी जोसेफ येसुदास | इसाई होने बाद भी विधिवत शाश्त्रीय कर्नाटक संगीत सीखा | उन के कंठ को सरस्वती का मानो वरदान मिला हो.. चाहे हिंदी हो , मलयालम हो , तमिल या बांग्ला सभी भाषाओ में उनका जादू चला..
उनका गाया भजन ” श्याम रंग रंगा रे , हर पल मेरा रे …या फिल्म चितचोर के लिए गाया ” गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा …” या शाश्त्रीय संगीत पर आधारित ” कहा से आये बदरा ….कालजयी है | उनकी गुरुवायुर मंदिर में कृष्ण स्तुति गाने की इच्छा अब तक अधूरी है | हिन्दू न होने से इस मंदिर में प्रवेश वर्जित है, वे कृष्ण के अनन्य भक्त है। अतः इस आयु में ऐसा न हो इस पवित्र कृष्ण मंदिर में दर्शन की उनकी अभिलाषा अधूरी रह जाए, सिर्फ उनके के लिए मंदिर प्रबंधन परंपरा को बदले । भक्त और भगवान का मिलन हो । मलयाली श्रोता उनके इस दर्द से द्रवित हो गए , जब उन्होंने मलयालम में गाया ”गुरुवायुर अम्बला नादयिल…
जीवेत शरदः शतम 🌹
संजयअनंत©