मित्रो , फिल्म ‘ सुई धागा ‘ , सब से हट के भारत के लोगो की कहानी ,इंडिया वालो की नहीं । जो मुझे पढ़ते है ,उनका कहना है ज्यादातर पुरानी फिल्मो को ही याद करता हु । बहुत दिनों के बाद एक बेहतरीन फ़िल्म देखी । साड़ी पहने ,सर से पाँव तक ढकी अनुष्का शर्मा उस निम्न वर्ग की नारी के रोल में है जहाँ अपने छोटे छोटे सपनो को पूरा करने के लिए बड़े संघर्ष है , बेबसी है ,किन्तु हिम्मत भी है ।तीन ,चार हज़ार में आने वाली सिलाई मशीन को पाने के लिए संघर्ष । हमारे टेक्सटाइल उद्योग ने कभी भारत को सोने की चिड़िया बनाया था , जब औद्योगिक क्रांति यूरोप में हुई तब उसका सस्ता माल खपाने के लिए हमारे हथकरघा , सिल्क उद्योग को ख़त्म किया गया। ये फिल्म इस बात को हमें समझाती है कि विदेशी ब्रांड के पीछे भागने वालो ,यदि चाहो तो तुम अपना देशी ब्रांड भी बना सकते हो । आज भी इतने बेहतरीन कारीगर हमारे देश में है ,उनके हुनर का उपयोग कर हमारे देशी कपड़ो को विश्वव्यापी बनाया जा सकता है । फिल्म में सभी कलाकार इतने सजीव है कि कही लगता नहीं वे अभिनय कर रहे हो । जरूर देखिये।
*संजय ‘अनंत’©*