नई दिल्ली, (mediasaheb.com) । दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ( AAP) ने मंगलवार को अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी कर दिया। आप संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने घोषणा-पत्र में शामिल 28 वादों का पिटारा खोला, लेकिन नौ वादे ऐसे हैं जिनको पूरा करने के लिए केजरीवाल को केंद्र सरकार की मदद की दरकार होगी।
आप सरकार के पिछले पांच वर्षों का कार्यकाल देखें तो केजरीवाल के लिए इन नौ वादों को पूरा करना आसान नहीं होगा। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केजरीवाल सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान मुहिम चलायी, लेकिन केंद्र ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसी तरह अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण एवं रजिस्ट्री का मसला भी केंद्र और दिल्ली सरकार में टकराव का कारण बना। हालांकि, केंद्र सरकार ने दावा किया था कि उसने अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित कर दिया है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने केंद्र पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था कि बिना लैंड यूज चेंज किए रजिस्ट्री गैर-कानूनी है।भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का मामला भी केंद्र सरकार के पाले में है। इसकी मांग कई वर्षों से उत्तर प्रदेश और बिहार के नेता उठाते रहे हैं। इसके लिए संघर्ष समितियां भी बनीं, बावजूद इसके अभी तक भोजपुरी आठवीं अनुसूचि में शामिल नहीं हो पायी है। यहीं कारण है घोषणा-पत्र जारी करते समय केजरीवाल और सिसोदिया ने इसका जिक्र भी किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने कहा, ”जो हमने वादे किये हैं उसके लिए दिल्ली की जनता और केंद्र सरकार का भी सहयोग चाहिए। हमने हर किसी से बात करने के बाद इसे तैयार किया है, जिसमें सभी की मांगों को शामिल किया गया है।”
सिसोदिया ने कहा कि आप सरकार ने दिल्ली जनलोकपाल बिल 2015 में पारित किया था, जो पिछले चार वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित है। फिरभी इसको लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आप सरकार केंद्र के साथ मिलकर एक मजबूत दिल्ली स्वराज विधेयक लाने के लिए भी प्रयास करेगी।
आप सरकार के नौ वादों में दिल्ली जन लोकपाल बिल, दिल्ली स्वराज बिल, सीलिंग से सुरक्षा, पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितीकरण और रजिस्ट्री, ओबीसी प्रमाण-पत्र के लिए मानदंड सरल करना, भोजपुरी, किसानों के हक में भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा शामिल है। (हि.स.)
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