नई दिल्ली, ( mediasaheb.com) केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में वायु प्रदूषण से निपटने में ऑड-ईवन योजना को नाकाफी करार देते हुए कहा कि वाहनों को प्रतिबंधित करने वाली इस योजना के कारण वायु प्रदूषण में कुछ कमी जरूर आती है लेकिन यह दिल्ली में वायु प्रदूषण ( #air pollution ) के स्तर को पर्याप्त रूप से कम नहीं कर सकती। केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 12 जनवरी,2017 को अधिसूचित ग्रेडिड रिस्पॉन्स कार्य योजना में आपातकालीन (गंभीर प्लस) उपाय के रूप में ऑड-ईवन योजना (# Odd-even scheme )को सूचीबद्ध किया गया है। अभी तक, दिल्ली सरकार इस योजना को 2016 में 01-15 जनवरी, फिर 15-30 अप्रैल और 2019 में 04-15 नवम्बर तक तीन बार लागू कर चुकी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली में 01 से 15 जनवरी,2016 के दौरान कार्यान्वित ऑड-ईवन योजना का आकलन कराया था। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ऑड-ईवन योजना के कारण वायु प्रदूषण में कुछ कमी होती है, पर एक कारक या कार्रवाई दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर को पर्याप्त रूप से कम नहीं कर सकती है। वहीं इस साल नवम्बर 2019 में ऑड-ईवन से पहले और ऑड-ईवन के बाद की अवधि के लिए सभी समान दिनों के लिए डाटा एकत्र किया गया है। यह डाटा ऑड-ईवन अवधि के दौरान, प्रदूषण स्तरों में ज्यादा परिवर्तन नहीं दर्शाता है। उन्होंने बताया कि ऑड-ईवन लागू होने से पहले दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत स्तर 275 और पीएम 10 का औसत 428 दर्ज किया गया था। वहीं ऑड-ईवन के दौरान यह क्रमश: 252 और 380 आंका गया।
बाबुल सुप्रियो ने बताया कि प्रमुख वायु प्रदूषण स्रोतों और देश में परिवेशी वायु प्रदूषण स्तरों में उनके योगदान की पहचान करने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं। दिल्ली-एनसीआर के लिए टीईआरआई और एआरएआई द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चला है कि मौसमीय स्थितियों जैसे कि हवा की गति, अधिकतम मिश्रित ऊंचाई, तापमान आदि के साथ-साथ गर्मी और सार्दी के मौसम में पीएम 10 और पीएम 2.5 सांद्रणों में मुख्य योगदान परिवहन, उद्योग, पराली जलाना, आवासीय, धूल (मृदा, सड़क और निर्माण) आदि का है। इसके अलावा, केंद्रीय सरकार ने व्यापक वायु प्रदूषण की समस्या में निपटने के लिए, 102 लक्ष्य प्राप्त न करने वाले शहरों में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है। इसके उद्देश्यों में अन्य बातों के साथ-साथ देशभर में प्रभावी परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क प्रणाली का विस्तार और विकास ( Manual and Real Time Station), स्रोत संविभाजन अध्ययन, शहर विशिष्ट वायु कार्य योजना, क्षेत्रीय हस्तक्षेप करना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) के तहत देशभर के 28 राज्यों और सात संघ राज्य क्षेत्रों में 344 शहरों व कस्बों को शामिल करते हुए 793 स्थलों पर परिवेशी वायु गुणवता की निगरानी की जा रही है। इसके साथ देशभर में दिल्ली-एनसीआर सहित 114 शहरों में 205 ऑनलाइन सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र (सीएएक्यूएमएस) स्थापित हैं। केंद्रीय सरकार ने समय-समय पर वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकीय विकल्पों की जाच के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। दिल्ली-एनसीआर में, उपशमन उपायों का निर्धारण करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं की जांच की गई है, जिसमें अन्य बातों के साथा सड़कों और निर्मिण स्थलों से उत्पन्न होने वाली धूल के नियंत्रण के लिए धूल-दमन उपकरण की प्रभावशीलता, पवन संवर्धन और शुद्धिकरण इकाईयों (वायु) का परिनियोजन और मूल्यांकन करना शामिल हैं। (हि.स.)।