आदिवासियों का सुरक्षा कवच है धारा 170 (ख), इस पर पुर्नविचार करना भी पाप।
रायपुर, (media saheb.com) जनता छत्तीसगढ़ कांग्रेस (जे) के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में संपन्न छत्तीसगढ़ राज्य जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक में लिए गए सभी निर्णय आदिवासी विरोधी है। जोगी ने उक्त परिषद को ‘‘आदिवासी विरोधी परिषद’’ की उपमा दी हैं। बैठक में आदिवासियों की भूमि के अंतरण के संबंध में नियमों को संशोधन करने के लिए उपसमिति का गठन किया गया। उक्त निर्णय पर सवाल खड़ा करते हुए जोगी ने कहा कि भू कानूनविदों ने आदिवासियों के हक और हित के लिए बहुत सोच समझकर राजस्व संहिता की धारा 170 (ख) का प्रावधान रखा है।
उस पर पुर्नविचार कैसे और क्यों किया जा रहा है अमित जोगी ने कहा कि सरकार उप समिति की आड़ में आदिवासी क्षेत्रों की खनिज सम्पदा को बड़े-बड़े औद्योगिक घरानो को मिट्टी के दाम सौपना चाहती है । अमित जोगी ने कहा भू राजस्व संहिता की धारा 170 (ख) आदिवासियों का सुरक्षा कवच है । इसको हटाने का सोचना भी मैं पाप समझता हूँ। दूसरा आदिवासी विरोधी निर्णय जो आदिवासी विरोधी परिषद ने लिया है, वह अचानकमार टाईगर रिजर्व के तीन ग्रामों तिलईडबरी, बिरारपानी, छिरहट्टा के विस्थापन का हैं। परिषद ने पेशा कानून की धज्जिया उड़ाते हुए कुल 19 गांवों के विस्थापन की सहमति प्रदान कर दी।
अमित जोगी ने कहा कि अचानकमार में हजारों साल से हमारे आदिवासी भाई बहन निवास कर रहें हैं। आज अगर अचानकमार क्षेत्र में जल, जंगल और जानवर बचे हैं, तो वो आदिवासियों के कारण ही बचे हैं। जोगी जी ने कहा कि इससे स्पष्ट हैं कि ‘‘आदिवासी विरोधी परिषद’’ की बैठक बुलाने का एकमात्र कारण उनके विस्थापन पर मौहर लगाना था। अमित जोगी ने कहा कि मैं इस आदिवासी विरोधी परिषद के एक भी निर्णय से सहमत नहीं हूँ।
जिस प्रकार पूर्व रमन में सरकार के आदिवासी विरोधी फैसलों का आदिवासी समाज ने एकजुट होकर विरोध किया था उसी प्रकार इस बार भी आदिवासी समाज के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ेगा। JCCJ आदिवासी समाज की इस लड़ाई में उनके साथ खड़ी है।इस संबंध में अमित जोगी ने राज्यपाल को पत्र भी लिखा है।