नई दिल्ली, (mediasaheb.com) दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाइयों की ऑनलाइन ब्रिक्री पर लगी रोक के पहले के आदेश के संबंध में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन और दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी किया है। इसके कोर्ट ने ऑनलाइन तरीके से दवाइयों की बिक्री कर रही कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नौ मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता डॉ जहीर खान ने अपने वकील नकुल मोहता और मिशा रोहतगी मोहता के जरिए दायर याचिका में कहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल के दिशा-निर्देशों के बावजूद लाखों दवाइयां ऑनलाइन बेची जा रही हैं। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से ई-फार्मेसी कंपनियां धड़ल्ले से दवाइयां बेच रही हैं। वे न केवल अपना प्रचार कर रहे हैं बल्कि अपने वेबसाइट और ऐप का विस्तार कर रहे हैं। ये सब कुछ कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा है।
दिसंबर,2018 में कोर्ट ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री पर रोक लगा दीspan>ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए भी याचिका दिल्ली के डॉ जहीर अहमद ने ही दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है, जिसकी वजह से ये रोगियों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट,1940 और फार्मेसी एक्ट,1948 के तहत दवाइयों के ऑनलाइन की बिक्री की अनुमति नहीं है। याचिका में कहा गया था कि 2015 में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाएं ताकि आम जनता के हितों की रक्षा हो सके लेकिन सरकार लोगों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है।
याचिका में कहा गया था कि सामान्य चीजों की तरह दवाइयों के दुरुपयोग से आम जनता को काफी नुकसान हो सकता है। दवाइयों का इस्तेमाल बच्चों से लेकर ग्रामीण पृष्ठभूमि के जुड़े लोग भी करते हैं, जो कम पढ़े-लिखे होते हैं। कुछ दवाइयां साइकोट्रॉपिक होती है, जिन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आसानी से ऑर्डर किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए भी हो सकता है। (हि स)।