नई दिल्ली, (mediasaheb.com) वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और केंद्र सरकार की तरफ से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने अर्ज़ी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा से खुद को सुनवाई से अलग करने की मांग की। कोर्ट ने प्रशांत भूषण की इस अर्जी को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई अभी जारी है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि जस्टिस अरुण मिश्रा ने दूसरे केसों में भी हमारे खिलाफ टिप्पणी की है और मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे खिलाफ राय बना ली है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण ने नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका के बारे में अपने बयानों से लोगों के दिमाग में यह जहर भर दिया है कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेज दिए। इसलिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। अटार्नी जनरल ने कहा कि मैं अपने पहले के रुख पर कायम हूं कि प्रशांत भूषण को सजा नहीं होनी चाहिए लेकिन इसका निपटारा कोर्ट के जरिए ही होना चाहिए।
पिछले 6 फरवरी को कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया था। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने कोर्ट में लंबित केस पर बाहर टिप्पणी की। उन्होंने कहा था कि प्रशांत भूषण ने मुझे झूठा कहा और मुझ पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया।
अटार्नी जनरल की याचिका में कहा गया है कि प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में दावा किया था कि नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर के रूप में नियुक्ति चयन समिति की मंजूरी से नहीं हुई है और इस बारे में अटार्नी जनरल ने कोर्ट को गुमराह किया है ।
पिछले 1 फरवरी को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि नागेश्वर राव ने सीबीआई का अंतरिम निदेशक रहते हुए सीबीआई में 40 तबादले किए। तब केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सेलेक्शन कमेटी से नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक बनाने को लेकर अनुमति ले ली थी। इसलिए उनकी अथॉरिटी को लेकर कोई सवाल पैदा नहीं होता है।(हि.स.)।