इस बाबत दाखिल कुल 49 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच करेगी सुनवाई
नई दिल्ली, (media Saheb) सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के सर्कुलर के मुताबिक इस मामले पर पांच सदस्यीय बेंच सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट कुल 49 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं के साथ काफी समय से भेदभाव होता रहा है। महिला पुरुष से कमतर नहीं है। एक तरफ हम महिलाओं को देवी स्वरुप मानते हैं| दूसरी तरफ हम उनसे भेदभाव करते हैं। कोर्ट ने कहा था कि बायोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल वजहों से महिलाओं के धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता को खत्म नहीं किया जा सकता है। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत चार जजों ने कहा था कि ये संविधान की धारा 25 के तहत मिले अधिकारों के विरुद्ध है।
जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बाकी चार जजों के फैसले से अलग फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक आस्था के मामले में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पूजा में कोर्ट का दखल ठीक नहीं है। मंदिर ही यह तय करे कि पूजा का तरीका क्या होगा। मंदिर के अधिकार का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि धार्मिक प्रथाओं को समानता के अधिकार के आधार पर पूरी तरह से परखा नहीं जा सकता है। यह पूजा करनेवालों पर निर्भर करता है न कि कोर्ट यह तय करे कि किसी के धर्म की प्रक्रिया क्या होगी। जस्टिस मल्होत्रा ने कहा था कि इस फैसले का असर दूसरे मंदिरों पर भी पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल किया गया है। इन पर पहले 22 जनवरी को सुनवाई नियत की गई थी। लेकिन उस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस इंदू मल्होत्रा मेडिकल लीव पर थीं जिसकी वजह से रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई टल गई थी।
पिछले 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वो सबरीमाला मंदिर में पिछले 2 जनवरी को प्रवेश करनेवाली दो महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करें। इन दो महिलाओं ने अपनी सुरक्षा की मांग की थी। सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोर्ट के फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक की 51 महिलाएं अब तक प्रवेश कर चुकी हैं।(हि.स.)।