नई दिल्ली/हि.स.(realtimes) शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने वाला तीन तलाक विरोधी नया विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा जहां सरकार सदन में बहुमत न होने के बावजूद इसे पारित कराने की पुरजोर कोशिश में लगी है।
राज्यसभा में सोमवार की कार्यसूची में मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण) विधेयक 2018 शामिल है तथा इसी के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी किया है। यह विधेयक चालू शीतकालीन सत्र में बीते माह 27 दिसम्बर को लोकसभा में 11 के मुकाबले 243 मतों से पारित हुआ था।
तीन तलाक विरोधी विधेयक वर्ष 2017 में भी लोकसभा में पारित हुआ था लेकिन तभी से यह राज्यसभा में लंबित पड़ा है। पुराने विधेयक को संशोधित करते हुए सरकार यह नया विधेयक लाई है जिसमें पहले के सख्त प्रावधानों को कुछ नरम बनाया गया है। इसके बावजूद, कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दल विधेयक को पारित नही किए जाने पर अड़े हुए हैं ।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष ने विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई थी। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने विपक्ष की ओर से सुझाए गए कुछ संशोधनों को स्वीकार करते हुए बीते वर्ष सितम्बर माह में तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए एक अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश अभी अस्तित्व में है। सरकार ने इस अध्यादेश के आधार पर ही आधारित एक नया विधेयक शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया।
नए विधेयक में भी तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन संशोधन के मुताबिक अब न्यायाधीश के पास पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित विधेयक में किए गए संशोधनों के अनुसार मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर न्यायाधीश आरोपी को जमानत दे सकता है। इसके अलावा अब पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और शादी के बाद बने उसके संबंधी ही पुलिस में मामला दर्ज करा सकते हैं। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायाधीश के पास पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर उनकी शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा । इसके साथ ही एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला को मुआवजे का अधिकार दिया गया है।