नईदिल्ली(media saheb) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्वोत्तर के प्रमुख राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल में लोकसभा चुनाव-2019 के मद्देनजर भाजपा के चुनावी प्रचार का शंखनाद करते हुए कहा कि हमारी सरकार के काम करने का तरीका ही है जिसने मणिपुर में अलगाव को लगाव में बदल दिया है। पूरे पूर्वोत्तर में परिवर्तन का दौर आरंभ हो चुका है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर में भाजपा राज्य सरकार गठन के बाद दूसरी बार इंफाल पहुंचे हैं। उन्होंने यहां हाप्ता कांगजेइबुंग मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार के कार्यों का पूरा लेखा-जोखा जनता के सामने प्रस्तुत किया। साथ ही पूर्व की सरकारों के अटकाने, लटकाने और भटकाने के कार्यों की भी तस्वीर पेश की। इससे पहले प्रधानमंत्री ने 1500 करोड़ की लागत से बनाने वाली व बनाई जाने वाली दर्जनभर से अधिक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री ने भाषण का शुभारंभ मणिपुरी भाषा में उपस्थित जनता का आभार व्यक्त करते हुए किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर व पूर्वोत्तर में बार-बार आना मेरे लिए बेहद सुखद अनुभव है। कारण यहां विविधता में अनेकता हर कोने में महसूस की जा सकती है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में मणिपुर की महिलाओं ने अपना उल्लेखनीय योगदान दिया था। ऐसी वीर नारियों का मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि यहां एक कहावत कही जाती है, “आजादी का द्वार पूर्व से ही खुलेगा।” पूर्वोत्तर के लोगों ने आजाद हिन्द फौज का भरपूर सहयोग दिया था। इसलिए नेताजी ने भारत की आजादी का मणिपुर को गेटवे बनाया था। उसे हम न्यू इंडिया का गेटवे बनाने में जुटे हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई व रोजगार मुहैया कराने वाली इन योजनाओं से मणिपुर की तस्वीर बदल जाएगी। पूर्व की सरकारों पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए पहले क्या किया गया, यह सभी को पता है। दिल्ली पूर्वोत्तर से दूर थी लेकिन अटलजी की सरकार ने पूर्वोत्तर के प्रति अपना विशेष लगाव दिखाया। जिसे हमारी सरकार आगे बढ़ा रही है। दिल्ली अब पूर्वोत्तर के द्वार पर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान मैं 30 बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुका हूं। ऐसा पहले नहीं होता था। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में चलने वाली योजनाओं की जानकारी मैं अधिकारियों से नहीं बल्कि सीधे जनता से मिलकर उसकी रिपोर्ट लेता हूं।
पूरा पूर्वोत्तर परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के गांव भारत के विकास में अहम पड़ाव बन गए हैं। उन्होंने बताया कि 18,000 गांवों में हमारी सरकार के कार्यकाल में बिजली पहुंची है। मणिपुर को इसलिए भी अब जाना जाएगा कि अंतिम बिजली पहुंचने वाला गांव मणिपुर का लेईसांग गांव है। 125 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का उपहार राज्य को मिला है। भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित यह सिर्फ एक चेक पोस्ट नहीं है, बल्कि इससे दर्जनों फायदे होंगे। यहां पर राष्ट्रीय ध्वज का स्मारक भी बनाया जा रहा है। सभी प्रोजेक्ट हमारी सरकार के विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इससे पहले की सरकारों में इस तरह के कामकाज का चलन नहीं था।
पीएम मोदी ने एक योजना का जिक्र करते हुए कहा कि 1987 में फाइल चली। उस पर निर्माण कार्य 1992 में 19 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ लेकिन बीच में अटक गया। 2004 में इस योजना को अटलजी की सरकार ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन का हिस्सा बनाया और काम शुरू हुआ। लेकिन फिर 10 वर्षों तक यह योजना लटकती रही। 2014 में इसमें गति तब आई जब हमारी सरकार बनीं। जो अंततः आज 500 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुई है। अगर समय पर यह योजना पूरी हो गई होती तो आम जनता का इतना पैसा बर्बाद नहीं हुआ होता। उन्होंने बताया कि 2014 में मेरी सरकार बनने के बाद मैंने 100 प्रोजेक्ट की समीक्षा कर इस परियोजना को पूरा करने का निर्णय लिया।
जो योजना 19 करोड़ में बनने वाली थी, वह 500 में तैयार हुई। अगर पहले बनकर तैयार हो जाती तो किसानों को इससे बहुत बड़ा सिंचाई का लाभ मिला होता। इसी तरह उन्होंने अन्य कई मणिपुर की पुरानी परियोजनाओं का जिक्र करते हुए अपने कार्यकाल में समय पर पूरा कराने की बात कही। उन्होंने बताया कि पूर्व की सरकारों का कल्चर अटकाने, भटकाने और लटकाने वाला था। जिससे किसान और नौजवान व आम जनता सभी परेशान थे। हमने इस कल्चर को बदला। अपने कार्यालय में प्रगति नामक एक सिस्टम स्थापित किया। जिसके जरिए देश के सभी राज्यों के अधिकारी-कर्मचारी के साथ सीधे वार्तालाप कर योजनाओं में आने वाली समस्याओं पर चर्चा की तथा उसके निराकरण के लिए आवश्यक कदम उठाकर उन योजनाओं को पूरा करने की कोशिश की। (हि.स.)