मुंबई, (mediasaheb.com) इस वक्त केंद्र सरकार जहां एक तरफ चुनावी अखाड़े में उतर चुकी है, वहीं एक खबर की चर्चा जोरों शोरों पर है और इस खबर के मुताबिक, देश भर में ऊर्दू भाषा को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर एक खास मुहिम चलाई जाएगी और इस मुहिम में बालीवुड के सितारों को बतौर ब्रैंड अंबेसडर जोड़ा जाएगा। इसके लिए सलमान खान और शाहरुख खान के साथ कैट्रीना कैफ का नाम सुना जा रहा है।
फिलहाल बालीवुड में इन तीनों सितारों की ओर से साफ कर दिया गया है कि किसी को भी ब्रैंड अंबेसडर बनने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि जिन सितारों के नाम ऊर्दू को बढ़ावा देने के लिए सामने आए हैं, उन तीनों का ही ऊर्दू ज्ञान शून्य है। कैट्रीना कैफ लंदन में रही हैं और वहां के अंग्रेजी माहौल में उनकी परवरिश हुई है। सलमान खान मुंबई में पढ़े हैं, लेकिन पढ़ाई में वे कुछ खास नहीं कर पाए और ऊर्दू को लेकर उनका ज्ञान शून्य बताया जाता है।
शाहरुख खान को लेकर कहा जाता है कि ऊर्दू के एक मौलवी कभी कभी उनके घर जाते हैं और शाहरुख खान के बच्चों को कुरान पढ़ाते हैं। शाहरुख खान ये मानते हैं कि उन्होंने बचपन में ऊर्दू सीखी है, लेकिन वे ऊर्दू न तो बहुत ज्यादा पढ़ पाते हैं और लिखना उनको भी नहीं आता। ऊर्दू को प्रोत्साहन देने के लिए इन तीनों सितारों के नाम की फिल्म इंडस्ट्री में ही मजाक उड़ाई जा रही है। वरिष्ठ अभिनेता रजा मुराद का कहना है कि ये काम किसी ऐसे जानकार को देना चाहिए, जो खुद इस जुबान को जानता है। उनका कहना है कि ऊर्दू को आगे बढ़ाने के लिए किसी फिल्मी सितारे से ज्यादा सरकारी नीयत की जरुरत है।
अगर ये सरकार सितारों का लालीपाप दिखाकर इस योजना को अधर में लटकाना चाहती है, तो बेहतर है कि ये सब किया ही नहीं जाए। गीतकार जावेद अख्तर ने भी माना है कि इस काम के लिए ये नाम सही नहीं हैं। उनका कहना है कि जरुरत इस बात की है कि ऊर्दू जानने वाले अध्यापकों को सही मौका और सम्मान मिले, तो ऊर्दू सीखने वाले बच्चों की संख्या जरुर बढ़ेगी, लेकिन इसके लिए किसी सितारे की जरुरत नहीं है। (हि.स.)।