मुंबई, (media saheb.com) हिंदी फिल्मों और संगीत में पाकिस्तान के कलाकारों और गायकों को बैन किए जाने के मुद्दे को लेकर फिल्म इंडस्ट्री के अंदर ही एकता नजर नहीं आ रही है। इस मुद्दे को लेकर अलग अलग यूनियनें अलग अलग भाषा बोल रही हैं। फिल्मों के तकनीशियनों की यूनियनों की ओर से अशोक पंडित लगातार कह रहे हैं कि पुलवामा हमले के बाद किसी भी तरह से पाकिस्तानी कलाकारों और गायकों पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए और देश के साथ एकजुटता के लिए ये जरुरी है कि हम पाकिस्तान के खिलाफ देश के आक्रोश का सम्मान करें। इसी मुद्दे पर कलाकारों की यूनियन से जुड़े सुशांत सिंह का कहना है कि पिछले साल उरी सेक्टर में हुए आतंकवादी हमले के बाद अधिकारिक रुप से पाकिस्तानी कलाकारों के हिंदी फिल्मों और टेलीविजन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद न तो इस फैसले में कोई छूट दी गई और न ही किसी ने इस फैसले की अवमानना की। सुशांत सिंह का कहना है कि अब किस आधार पर फिर से बैन लगाने की मांग की जा रही है।
उनका कहना है कि मीडिया में बने रहने के कुछ शौकीन इसे पब्लिसिटी का माध्यम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सुशांत सिंह ने उस पत्र पर भी सवाल उठाया, जो फिल्मसिटी स्टूडियो में नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री पर बैन को लेकर लिखा गया था। सुशांत सिंह का कहना है कि ये मांग आधारहीन है, क्योंकि किसी की एंट्री पर कोई स्टूडियो बिना किसी आधार के रोक नहीं लगा सकता। स्टूडियो ने इस पत्र को खारिज कर दिया। सुशांत सिंह का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू फिल्म कलाकार भी नहीं हैं, इसलिए फिल्म इंडस्ट्री की कोई यूनियन उनको बैन करने की बात नहीं कर सकती। सुशांत सिंह ने कहा कि हर देशवासी चाहता है कि पुलवामा हमले के दोषियों को सजा मिले और केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाए, लेकिन इसके लिए सरकारी फैसलों का इंतजार करना चाहिए |(हि.स.)