मानवीय के साथ-साथ 5 आर्थिक फ़ायदे बताए।
रायपुर (mediasaheb.com) पिछले कुछ महीनों से हमारा देश एक अज्ञात दुश्मन कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है, लेकिन सरकार और नागरिकों द्वारा किए गए सामूहिक प्रयासों के कारण हमने अपने देश को इस महामारी से सबसे बुरे तरीके से प्रभावित होने से सफलतापूर्वक रोक दिया है जहां दूसरी तरफ दुनिया के कई उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने भी कोरोना संक्रमण के सामने घुटने टेक दिए। लेकिन एक बार फिर इस वायरस से भारत का गहरा आर्थिक विभाजन उजागर हो गया है। देशव्यापी लॉकडाउन कोरोना संक्रमण के प्रसारण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए एक बहुत ही आवश्यक कदम था हालांकि इसकी हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी, गांव से शहरों में आजीविका कमाने आये प्रवासी गरीब मजदूरों को अनिश्चितता व अराजकता पैदा होने से बिना किसी सुविधा के पलायन करना पड़ना। संकटग्रस्त प्रवासी मजदूरों को बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विशेष रेलगाड़ियों को चलाने के निर्णय का स्वागत करते हैं लेकिन साथ ही हम प्रस्ताव रखते हैं कि बसों और ट्रेनों के अलावा प्रवासी मजदूरों को अपने राज्यों में वापस जाने के लिए विमान सेवा की भी अनुमति दी जानी चाहिए और एयरलाइन्स के किराए का सारा भुगतान केंद्रीय या राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। यह उल्लेख करना उचित है कि प्रवासी मजदूरों द्वारा एक भी पैसा नहीं वहन किया जाना चाहिए क्योंकि उनकी कोई गलती नहीं थी फिर भी इस महामारी से वो पीड़ित हैं।
इस प्रस्ताव से अर्थव्यवस्था और मजदूरों दोनों के स्वास्थ्य को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे:
1. एयरलाइंस को दिया जाने वाला पैसा उनके नकदी प्रवाह को बढ़ा देगा और उन्हें लंबी अवधि तक अर्थव्यवस्था में बने रहने में मदद करेगा।
2. उन राज्यों से जो गृह राज्य से 1000 किमी से अधिक दूरी पर हैं, ट्रेनों से मजदूरों को लाने में काफी समय लग सकता जिससे मजदूरों का कोरोना संक्रमण के चपेट में आने की सम्भावनायें बढ़ जाएंगी। ऐसे राज्यों के प्रवासी मजदूरों के लिए विमानसेवा ही अधिक सुविधाजनक होगी।
3. हवाई अड्डों पर मजदूरों को स्क्रीन (जांच) करना आसान है क्योंकि विमानतल शहर के केंद्र से कुछ दूरी पर स्थित हैं जबकि इसके विपरीत रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है।
4. मजदूरों को भीषण गर्मी में लू और नौतपा से राहत मिलेगी जो उनके स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं। पहले ही पारा 42 डिग्री तक पहुँच गयी है और इससे भी अधिक तापमान बढ़ने की उम्मीद है।
5. हवाई अड्डे पर पुलिस कर्मियों के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग बनाए रखना आसान होगा क्योंकि प्रति विमान आने वाले मजदूरों की संख्या कम होगी।
ठीक इसके विपरीत ट्रेनों के मामले में प्रति ट्रेन 1000 मजदूरों से भी अधिक का आगमन होगा, इससे सोशल डिस्टेन्सिंग और क्वारंटाइन का प्रबंधन करने वाले अधिकारियों पर काफी दबाव बढ़ेगा। गरीब प्रवासी मजदूर ज्यादातर अनौपचारिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं और कुल कार्यबल का लगभग 89% हिस्सा हैं जो भारतीय जीडीपी में 50% से अधिक का योगदान देता है। देश का बुनियादी ढांचा इन्ही प्रवासी मजदूरों की पीठ पर बना गया है। इन प्रवासी मजदूरों को उनके गाँव, उनके घर अपने परिवार के पास वापस जाने का पूरा हक है और इसके लिए विशेष सुविधाओं जैसे विमानसेवा की व्यवस्था कराई जानी चाहिए और सरकार को इन मजदूरों से एक पैसा वसूल किए बिना इस व्यवस्था की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।
आशा है इस पर आप तवरित निर्णय लेते हुए सम्बंधित अधिकारीयों को तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश देंगे।