रायपुर, (mediasaheb.com) मेरे लिए परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती मात्र एक औपचारिकता नहीं हो सकती जिसे हम हर साल 18 दिसम्बर को जैतखम्ब के आगे माथा टेक के झंडा,नारियल,फूल और अगरबत्ती चढ़ाकर मना लें।अगर वास्तव में उनकी जयंती को अपने जीवन और समाज में सार्थक बनाना है तो बाबा के मानवता में समानता-और नशामुक्ति- स्थापित करने के अद्वितीय संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए ये प्रण लेना पड़ेगा कि चाहे कुछ भी हो जाए हम बाबा के बताए सत के मार्ग से कभी नहीं भटकेंगे।इस मार्ग में कितनी ताक़त है,इसका मैंने अपने अल्प जीवनकाल में अनेकों बार अनुभव किया है- और इसीलिए मुझे पूरा यक़ीन है कि छत्तीसगढ़ को सुखी,समृद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए प्रदेश को नशा-मुक्त करना ही वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाबा गुरु घासीदास के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
Tuesday, October 28
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