रायपुर( mediasaheb.com) शहरी और आधुनिक जीवन शैली में लोग बीमारियों को जाने अंजाने में अपने घर लेकर चले आते हैं। होटलों में मिलने वाले खाद़य वस्तुओं में इस्तेमाल होने वाले खाद्य व अखाद्य रंग के प्रयोग से शरीर में तरह-तरह के बीमारियां हो सकती है। दिवाली त्यौहार में मांग बढ़ने के साथ ही खाद्य पदार्थो में मिलावट बढ़ जाती है। साइंस कालेज परिसर में आयोजित पांच दिवसीय राज्योत्सव मेले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम द्वारा मेले में स्टॉल लगाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। लोगों को आज फलों में लगे स्टीकर, मोम की परत, सब्जियों में मोम और मिठाईयां पेड़ा, बर्फी व काजू कतली में नकली चांदी की वर्क चढ़ाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है। टीम में औषधि निरीक्षक डॉ टेकचंद धीरे, खाद्य सुरक्षा अधिकारी रोशनी राजपूत, नमूना सहायक राजेश सोनी, लेब टेक्नीशियन केडी भास्कर सहित अन्य कर्मचारी शामिल रहें।
उप संचालक खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन रायपुर के औषधि निरीक्षक डॉ. टेकचंद धीरे ने बताया, मिठाई के एक टुकड़े के साथ चांदी के वर्क की बहुत कम मात्रा ही पेट में जाती है। शुद्ध चांदी से बने वर्क सीमित मात्रा में शरीर के लिए नुकसान देह नहीं होते हैं। लेकिन अधिक मात्रा या नियमित उपयोग नुकसान देह हो सकता है। चांदी का अधिक मात्रा में शरीर में जाना अर्जिरिया नामक बीमारी की वजह बन सकता है जिसमे त्वचा नीली जैसी हो जाती है। इसके अलावा इसे बनाते समय साफ सफाई और शुद्धता का ध्यान नहीं रखा गया हो तो यह बीमारी का कारण बन सकता है। चांदी के नकली वर्क बहुत नुकसानदायक हो सकते है। इनसे लीवर, फेफड़े या किडनी की बीमारी होने की सम्भावना हो सकती है। विशेष कर अल्युमिनियम से बनाये वर्क अधिक नुकसानदेह होते हैं।
औषधि निरीक्षक डॉ.धीरे ने बताया, खाद्य पदार्थो में सिंथेटिक रंग का प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है। हरे सिंथेटिक कलर वाले खाद्य पदार्थ से जहां कैंसर का खतरा है। वहीं अल्युमिनियम वर्क लगी मिठाइयां खाने से याददाश्त जाने की संभावना अधिक हो जाती है। उन्होंने बताया सबसे अधिक खतरनाक हरा रंग है। इसमें मैला काइट ग्रीन तत्व पाया जाता है जो कैंसर का कारक होता है। सिंथेटिक हरे रंग से निर्मित नली, नमकीन, पापड़, मिठाइयां आदि के सेवन से कैंसर की संभावना अधिक हो जाती है। मिलावटी दूध और उससे निर्मित खाद्य पदार्थों के सेवन से पेट की विभिन्न बीमारियों से अतिरिक्त लीवर खराब होने का खतरा अधिक होता है।
वही Fast food के नाम पर Restaurant से लेकर सड़क किनारे ठेलों व गुमठियों में Nonways food चिकन चिल्ली में भी रंगों का प्रयोग करना घातक साबित हो सकता है। फलों और सब्जियों में होने वाले रासायनिकों के उपयोग और सेव में लगे स्टीकर के साथ मोम की परत जो चमकदार व आकर्षक दिखने की वजह से सेहत के लिए नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है। मेले में इसके अलावा उपभोक्ताओं को जागरुकता करने के लिए बताया जा रहा है कि डॉक्टर के परामर्श के बिना किसी भी दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए। लाइसेंसी मेडिकल से दवा खरीदें व बिल लें। दवाओं के लेबल पर एक्सपायरी डेट, बैंच नंबर, एमआरपी पर ध्यान दें। दवाओं कोअधिक नमी व गर्म स्थान पर न रखें । शराब के साथ में औषधियों का सेवन न करें।