छग विधानसभा सत्र का पहला दिन
रायपुर(mediasaheb.com) छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया है। सदन ने सबसे पहले अपने दिवंगत सदस्य भीमा मंडावी के साथ एमपी विधानसभा के पूर्व सदस्य संतोष कुमार अग्रवाल और छत्तीसगढ़ के पूर्व सदस्य बलराम सिंह ठाकुर को श्रद्धांजलि दी गई। इसके अलावा सदन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मां बिंदेश्वरी बघेल को भी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि के बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन नक्सली हमले में मारे गए दंतेवाड़ा के भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी, अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक संतोष अग्रवाल, बलराम सिंह ठाकुर को श्रद्धांजलि दी गई। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के साथ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीनों के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि संतोष अग्रवाल समाजसेवी और धार्मिक क्षेत्रो में सक्रिय थे. सरपंच से लेकर विधायक तक कई पदों को सुशोभित किया। भीमा मंडावी की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। वे सहज, सरल और मिलनसार व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि भीमा मंडावी का जन्म 1973 में हुआ। वे गदापाल पंचायत के सचिव के रूप में काम किया। भीमा मंडावी के जाने से अपूरणीय क्षति हुई है। न केवल आदिवासी समाज मे बल्कि इस सदन के लिए भी ये अपूरणीय क्षति है। 30 साल की उम्र में विधायक बन गए थे। दुखद घटना घटी लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सल घटना में उनकी मृत्यु हुई है। मिलनसार व्यक्तित्व के धनी रहे थे उनका निधन अपूर्णिय क्षति है। ठाकुर बलराम सिंह इस सदन के दो बार सदस्य रहे। मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला था। बेहद सहज, सरल, और छत्तीसगढिय़ा की पहचान रही है उनकी सेवाएं और राजनीतिक सफर सबके लिए प्रेरणादायी है इसे भुलाया नहीं जा सकता। वे दो बार बिलासपुर के महापौर रहे। सहकारिता के क्षेत्र में भी बड़े नाम थे उनका आशिर्वाद व सानिध्य सबके लिए प्रेरणास्पद था।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि भीमा मंडावी वीर नायक के रूप में जाने जाएंगे। वे समाज के अंतिम व्यक्ति के रूप में कार्य करते रहे। सरकारी की योजनाओं का लाभ अपने इलाके में अधिक से अधिक दिलाने में लगे रहे। उन्होंने नक्सलियों की धमकी की कभी परवाह नहीं की। संतोष अग्रवाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सीएम बघेल ने बताया कि वे सामाजिक धार्मिक राजनीति में सक्रिय थे।
पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के मुखिया अजीत जोगी ने भी तीनों नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। जोगी ने कहा कि संतोष अग्रवाल समाजिक रूप से जीवन भर सक्रिय रहे। आगे उन्होंने कहा कि सदन में भीमा मंडावी करीब बैठते थे, उस वक्त मैं उन्हें अच्छे से जाना ।
उनके अंदर आदिवासियों के प्रति कुछ करने की प्रबल इच्छा थी। दिवंगत बलराम सिंह के बारे में भी उन्होंने बयान दिया। बिलासपुर की राजनीति बलराम सिंह के बगैर अधूरी रही है। उनके जाने बाद बिलासपुर की राजनीति में वो बात नहीं रही । सीएम बघेल की माता के निधन पर भी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक आदर्श माता बताया।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपने श्रद्धांजलि में कहा कि संतोष अग्रवाल की सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर उनकी छवि थी. उनके कामकाज को देखते हुए लोगों ने उनके नाम के साथ दाऊ शब्द से संबोधित किया था और इसी से पता चलता है कि वे अपने क्षेत्र में कितने अपने काम को लेकर लोकप्रिय थे। भीमा मंडावी इस सदन के सदस्य थे। मैं उनकी वीरता का कायल रहूंगा। समाज के अंतिम व्यक्ति तक अंत्योदय के लिए काम किया. वह वीरगाथा के नायक के तौर पर याद किये जाते रहेंगे। लोकतंत्र के महापर्व को चुनौती देने वालों की चुनौती उन्होंने स्वीकार की थी। चुनाव प्रचार से लौटने के दौरान श्यामगिरी के करीब नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी7 किसानों , वन वासियों के लिए भीमा मंडावी ने हमेशा लड़ाई लड़ी। मृदुभाषी रहे. विधायक दल के उप नेता के रूप में भीमा मंडावी ने काम किया। यदि वह आज होते थे, तो दंतेवाड़ा क्षेत्र के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती। नक्सलियों की ओर से उन्हें कई बार धमकियां मिली लेकिन उन्होंने कभी परवाह नहीं की। क्षेत्र के लोगों की बेहतरी के लिए काम करते रहे। उन्होंने सुरक्षा गार्ड जो शहीद हुए भीमा मंडावी के साथ उनके प्रति भी श्रद्धांजलि दी। श्री कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी बघेल के निधन का भी उल्लेख करते हुए सदन में श्रद्धांजलि दी। श्री कौशिक ने ठाकुर बलराम सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनमें शुरू से नेतृत्व का गुण था और उनके ही कारण रतनपुर महामाया मंदिर की ख्याति बढ़ी। उनकी सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस प्रमुख और मरवाही विधायक अजीत जोगी ने श्रद्धांजलि में कहा कि मैं संतोष अग्रवाल, भीमा मंडावी और बलराम सिंह ठाकुर के निधन पर अपनी ओर से विन्रम श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूँ। संतोष अग्रवाल सामाजिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। मृदुभाषी होने के कारण लोकप्रिय रहे। विधायक भीमा मंडावी सदन में मेरे करीब ही बैठते रहे7 मैंने पाया कि बस्तर के आदिवासियों की कठिनाइयों को बेहतर समझते थे। उन कठिनाइयों के निराकरण के लिए प्रयत्नशील रहते थे। नक्सलवाद का सामना करते हुए ऐसी शहादत दी जो हमेशा स्मरण की जाती रहेगी। उन्होंने पूर्व विधायक बलराम सिंह ठाकुर के निधन पर कहा कि उनके जाने से बिलासपुर की राजनीति का एक बहुत मजबूत स्तम्भ गिर गया। बिलासपुर की राजनीति में बलराम सिंह के बिना कुछ भी सोचना सम्भव नहीं था। उनका व्यक्तित्व इस तरह से पूरे क्षितिज पर छाया हुआ था। चाहे राजनीति हो, नगर निगम हो, विधानसभा हो खासतौर पर सहकारिता के क्षेत्र में बहुत ऊंचाई तक पहुँचने वाले महापुरुष थे. वह बेहद मीठी छत्तीसगढ़ी बोलते थे।
अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी बघेल के निधन पर भी श्रद्धांजलि दी। व्यक्तिगत रूप से मेरी एक-दो मुलाकात ही हुई लेकिन मैं कह सकता हूँ वह एक आदर्श माता थी। वह परिवार की धुरी थी। उन्हीं के आसपास उनका परिवार आज इन ऊंचाइयों तक पहुँचा है।
कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने भी दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भीमा मण्डावी की बहादुरी और उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला और कहा कि उनका जाना अपूरणीय क्षति है। विपक्ष के सदस्यों ने परिवार की स्थिति पर चिंता जाहिर की है हम उस चिंता से सहमत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री की माता एवं ठाकुर बलराम सिंह के प्रति भी श्रद्धांजलि दी।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा दुनिया में राजनीति हत्या का यदि कहीं कोई सबसे ज्यादा रिकॉर्ड है तो वह छत्तीसगढ़ में है। 2008 में भीमा ने महेंद्र कर्मा जैसे दिग्गज नेता को हराकर यदि जीत दर्ज की तो कहीं तो कोई बात रही होगी। बारूद ने कोई भेद नहीं किया। बारूद ने महेंद्र कर्मा को भी मारा और भीमा को भी मारा। ठाकुर बलराम सिंह बेहद जिंदादिल इंसान थे। ऐसे महापुरुषों के नहीं रहने से छत्तीसगढ़ को अपूरणीय क्षति हुई है। बड़े- बड़े कवियों और लेखकों ने कहा है दुनिया में कहीं जन्नत है तो माँ की चरणों मे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मातृशोक हुआ है। उनकी इस पीड़ा को मैं समझ सकता हूँ। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगतों के परिवारों को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को इस दुख की घड़ी से उबरने की हिम्मत दे। सबका निधन अपूरणीय क्षति है।
भाजपा विधायक पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज भीमा मंडावी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आखिर कब तक नेता नक्सलवाद की बलि चढ़ते रहेंगे। मुझे लगता है कि इस सदन को नक्सलवाद के खात्मे के लिए कोई बड़ा निर्णय करना चाहिए। इस विषय पर आखिर कब तक हम निर्दोष लोगों को नक्सवाद के नाम पर खोते रहेंगे। नक्सलवाद की बलि वेदी पर को रोकना होगा हमें चिंता करनी होगी, हम चिंता नहीं करेंगे तो आने वाला समय हमें माफ नहीं करेगा। बलराम सिंह ठाकुर और संतोष अग्रवाल जैसे नेताओं का जाना क्षति है. मां तो मां होती है मां का स्थान कोई नहीं ले सकता। पुत्र को मुख्यमंत्री के रूप में देखकर उन्हें गर्व हुआ होगा, उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित है।
पूर्व मंत्री भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि भीमा मंडावी इस सदन में मेरे ठीक पीछे बैठते थे। बस्तर जैसी जगह से जब नेतृत्व उभरता है तो उनके जाने से स्थिति बेहद कमजोर हो जाती है। ऐसे नेतृत्व का रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि भीमा मण्डावी एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. महेन्द्र कर्मा अलग-अलग दलों से होते हुए भी नक्सलवाद के खिलाफ काम करते रहे और इसी में उनकी शहादत हुई। उन्होंने परिवार की माली हालत का जिक्र करते हुए कहा कि उस विषय पर सदन के नेता से हम सब चर्चा करेंगे। ठाकुर बलराम सिंह, संतोष अग्रवाल एवं बिंदेश्वरी बघेल मुख्यमंत्री की माता के प्रति भी उन्होंने श्रद्धांजलि दी।
सदन में अपने ससुर बलराम सिंह ठाकुर को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक हो पड़ी कांग्रेस विधायक रश्मि आशीष सिंह उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से इस सदन में सब लोग मेरे ससुर के व्यक्तित्व की चर्चा कर रहे हैं उससे हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। और उनके ही आशीर्वाद और प्रेरणा से यह परिवार इतनी ऊंचाई पर पहुंचा है। मैं भरोसा दिलाती हूं कि वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. उनके बताए मार्गों पर चलकर जनता की सेवा करती रहूंगी। उन्होंने संतोष अग्रवाल एवं भीमा मण्डावी तथा मुख्यमंत्री की माता के सम्मान में भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सबका निधन अपूरणीय क्षति है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होने कहा कि संतोष अग्रवाल एक ऐसा नाम रहा जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण को लेकर न केवल छत्तीसगढ़ तक बल्कि दिल्ली तक संघर्ष किया। भीमा मंडावी को मैं हमेशा कहता था कि तुम अपना निवास दंतेवाड़ा में स्थायी रूप से बनाकर रहो। उसका दु:साहस ही था कि वह कहता था कि मैं गदापाल के लोगों को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता। मैंने अपने जीवन मे ऐसे दो ही दु:साहसी देखे है, जिन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ आंदोलन चलाया हो एक महेंद्र कर्मा और दूसरा भीमा मंडावी अलग-अलग पार्टी के होने के बावजूद नक्सलवाद के मुद्दे पर दोनों बातचीत किया करते थे। रमन सिंह ने बलराम सिंह ठाकुर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी देवी को भी श्रद्धाजंलि दी।
संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि आज हम जब तीनों दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो मैं कहूंगा कि तीनों फक्कड़ स्वभाव के थे.और तीनों ही छत्तीसगढिय़ा संस्कृति और सभ्यता के प्रतिबिम्ब थे। तीनों का व्यक्तित्व एक जैसा था और सबका राजनीतिक सफर जमीनी राजनीति से शुरू हुई। भीमा मण्डावी को याद करते हुए कहा कि सबके बीच हँसमुख चेहरा था। जब हम उधर बैठते थे तो भीमा इधर बैठा करते थे और जब हम इधर बैठ रहे हैं तब वे उधर बैठा करते थे और सामने हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि इस सदन में नक्सलवाद को लेकर अलग-अलग दौर पे चर्चा हुई क्लोजडोर मीटिंग भी हुआ। नक्सलवाद पर मप्र से लेकर छत्तीसगढ़ तक चर्चा होते रही। भीमा मण्डावी की कमी हमेशा खलेगी। उन्होंने कहा कि झीरमघाटी की घटना में हमने इसी सदन के कई सदस्यों महेन्द्र कर्मा, नंदकुमार पटेल सहित 34 सदस्यों को खोया था चिंता का विषय है। यह विषय हमारे लिए ही नहीं हिन्दुस्तान के लिए भी चिंता का विषय है, हमारे जनप्रतिनिधियों को हम कब तक ऐसे खोते रहेंगे यह सबके लिए चिंता का विषय है। संतोष अग्रवाल और बलराम सिंह ठाकुर ठेठ छत्तीसगढिय़ा थे. ग्रामीण राजनीति के क्षेत्र में वे अग्रणी नेता रहे है। इन सबका जाना अपूरणीय क्षति है। संसदीय कार्यमंत्री श्री चौबे ने जोर देकर कहा कि आखिर कब तक हम अपने जनप्रतिनिधियों को खोते रहेंगे. कब तक बस्तर की धरती लाल होती रहेंगी. ये देश के लिए चिंता का विषय है। लगभग सवा घंटे तक दिवंगतों के सम्मान में 16 सदस्यों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी विधायक मोहन मरकाम विधायक केशवचंद्रा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल अजय चंद्राकर श्रीमती डॉ.रेणु जोगी अमितेष शुक्ला शिवरतन शर्मा मंत्री कवासी लखमा, सौरभ सिंह विधायक रश्मि आशीष सिंह, डॉ.रमन सिंह संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने अपनी बात रखी। सदन की ओर से दिवंगतों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई और फिर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अब अगली बैठक 15 जुलाई सोमनवार को 11 बजे से होगी।