रायपुर(mediasaheb.com) विगत वर्षों की तुलना में इस वर्ष भूजल स्तर गिरने की शिकायतें 50 प्रतिशत कम हो गइंर्। इस आश्चर्यजनक तथ्य का कारण भी बेहद दिलचस्प है। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद के शुरूआती फैसलों में एक बड़ा फैसला था कि इस वर्ष रबी फसल की सिंचाई के लिए भरपूर पानी दिया जाएगा। यह फैसला सिर्फ किसानों के लिए नहीं बल्कि धरती के लिए भी कारगर साबित हुआ। इसी प्रकार निस्तारी तालाबों को भरने का कार्य भी तत्परता से किया गया। नलकूप खनन के अलावा सुधार आदि नियमित कार्यों को बेहतर ढंग से करने के परिणाम स्वरूप इस वर्ष पेयजल के संकट की तीव्रता कम हुई। विगत वर्षों की तुलना में मई के पहले सप्ताह की स्थिति तक यह स्थिति बनी हुई है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार विगत वर्ष इस समय तक 7000 से अधिक नलकूपों का भू-जल स्तर गिरने से पेयजल मिलना बंद हो जाता था जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 3500 के लगभग रहा, जिसके लिए वैकल्पिक इंतजाम करने में विभाग को काफी सहूलियत हुई। रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी देने से जमीन की रिचार्जिंग हुई, इसी प्रकार इस वर्ष लगभग 7 हजार निस्तारी तालाबों को भरने से भी भू-जल स्तर बनाए रखने में मदद मिली। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में स्थापित कुल 2 लाख 74 हजार 881 हैण्डपम्प में से मात्र 3500 ही है ऐसे हैं जो भू-जल स्तर के गिरने के कारण बंद हुए और इसमें से मात्र 289 ही सुधार के अयोग्य हैं।
वर्तमान स्थिति में प्रदेश में स्वीकृत नल-जल योजनाओं की संख्या 4329 है जिसमें से 3481 पूर्ण हो चुकी हैं। प्रदेश में स्वीकृत सोलर ड्यूल ऑपरेटेड पम्प की संख्या 5226 है जिसमें से 4867 पूर्ण हो चुकी है। प्रदेश में स्वीकृत मिनी नलजल प्रदाय योजना की संख्या 2027 है जिसमें 1785 पूर्ण हो चुकी हैं। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में राज्य मद के अंतर्गत बसाहटों में करायी गई पेयजल की व्यवस्था संख्या 5 हजार 955 है, जिसमें से 5 हजार 144 पूर्ण हो चुकी हैं। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में राज्य मद से शालाओं में खनिज पेयजल की संख्या 1055 है, जिसमें से 902 नलकूप सफल रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में अन्य मदों के अन्तर्गत बसाहटों में खनिज पेयजल की संख्या 700 है, जिसमें 564 सफल है।
लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता के दायरे में आने से लम्बित, शेष निर्माण कार्य महान्त में शुरू होने से स्थिति में और सुधार होगा। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ग्रीष्मकाल में संभावित पेयजल संकट से निपटने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैण्डपम्पों एवं नलजल योजनाओं को निरंतर चालू रखने के लिये खंड एवं उपखंड स्तर पर पेयजल निगरानी कंट्रोल रूप की स्थापना की गई है। जिसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल प्रदाय हेतु स्थापित विभागीय हैण्डपम्पों के संचालन एवं संधारण हेतु पर्याप्त चलित वाहन क्रियाशील हैं। ग्रीष्मकाल में पेयजल स्रोत के जलस्तर गिरने से सिंगल फेस पॉवर पम्प के माध्यम से पेयजल व्यवस्था हेतु पर्याप्त मात्रा में राइजर पाइप उपलब्ध कराए गए हैं, ताकि उपलब्ध व्यवस्था की निरंतरता बनाई रखी जा सके। राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल समस्याओं के त्वरित निराकरण हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा टोल फ्री नम्बर 1800-233-0008 स्थापित किया गया है।