जगदलपुर, (mediasaheb.com) बीजापुर जिले के इंद्रावती राष्ट्रीय अभ्यारण के अंर्तगत आने वाले गांव रानीबोदली के ग्रामीण पिछले बारह वर्षों से रंग गुलाल से दूर हैं, वहीं आसपास के गांव में भी होली नहीं खेली गयी। जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर बसा रानीबोदली गांव होली के दिन शोक में डूबा रहता है। दरअसल, 15 मार्च 2007 को देश के पहले सबसे बड़े नक्सली हमले की दास्तां आज भी यहां के ग्रामीणों के जेहन में कैद है।
पुलिस के 55 जवानों की शहादत का मंजर अपनी आंखों से देख चुके यहां के लोग होली की खुशियों के बीच खुद को सदमे में पाते हैं। कैम्प में मौजूद 56 जवान रात को जब गहरी नींद में सो रहे थे, रात करीब एक बजे करीब 500 नक्सलियों ने हमला कर दिया था, इससे कैम्प में हड़कंप मच गया था। हमलावर नक्सलियों ने मोर्चे पर तैनात जवानों को चुन-चुनकर अपना निशाना बनाया। इस हमले में 55 जवान शहीद हुए थे। इनमें से ज्यादातर जवान सीएएफ व एसपीओ के थे। जवानों की जवाबी कार्रवाई में 9 नक्सली भी मारे गए थे। वर्ष 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद राहत शिविर में आए हुए ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए जगह-जगह कैम्प स्थापित कर जवानों की तैनाती की गई थी, रानीबोदली भी उसी का हिस्सा था। बताते हैं कि इस घटना से एक दिन पहले ही जवानों ने हर्षोल्लास के साथ होली का पर्व मनाया था।
इस घटना के 12 साल बाद भी यहां के ग्रामीण उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। पास में ही प्राथमिक और माध्यमिक पाठशाला के बच्चे जो नक्सली हिंसा से बाल – बाल बचे थे, इन बच्चों को इस हादसे को भुलाने के लिए सरकार ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करायी। आज ये बच्चे कॉलेज तक पहुंच गये पर वो मातमी दिन नहीं भूल पा रहे हैं। 28 परिवार के बच्चे आज भी होली नहीं मनाते।(हि.स.)।