भिलाई(media saheb.com). हिंदी मीडियम, सीजी बोर्ड स्टूडेंट्स ऐसा मानते हैं कि मेडिकल की टफ पढ़ाई में अंग्रेजी उनके लिए बड़ी बाधा है पर इस मिथक को हिंदी मीडियम से ही पढ़कर सीजी पीएमटी में टॉप करने वाले दुर्ग के डॉ. विवेक कुमार श्रीवास्तव ने तोड़ दिया। दो साल के ड्रॉप और अपने दूसरे अटेम्ट में डॉ. विवेक की मेहनत ने मीडियम की बाधाओं को तोड़ दिया। साल 2010 में सीजी पीएमटी में पूरे प्रदेश में 6 वां रैंक हासिल करके अंग्रेजी की वजह से खुद को कमतर मानने वाले स्टूडेंट्स के सामने एक मिसाल खड़ी की। एमबीबीएस के बाद रायपुर मेडिकल कॉलेज से एमएस सर्जरी में पीजी कर रहे डॉ. विवेक कहते हैं कि परीक्षा हिंदी या अंग्रेजी नहीं आपके ज्ञान को देखती है। इसलिए इस डर को मन से निकाल दें। वैसे भी एमबीबीएस की पढ़ाई आगे चलकर अंग्रेजी में ही करनी पड़ती है इसलिए मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के साथ ही अंग्रेजी को थोड़ा दुरूस्त करते चले। किसी नई चीज को सीखने में कोई हर्ज भी नहीं है। जब मैंने पीएमटी की तैयारी की तो हिंदी और अंग्रेजी की किताबों को साथ-साथ रखकर पढ़ता था ताकि हिंदी और अंग्रेजी दोनों विषय को समझ सकूं। जिसका लाभ ऑल इंडिया और सीजी पीएमटी दोनों में मिला।
डॉक्टर से कम कुछ भी मंजूर नहीं था
डॉ. विवेक ने बताया कि वे अपने माता-पिता के इकलौते संतान हंै। बचपन से पढऩे में अच्छे थे। दसवीं क्लास से ही बायो में इंटरेस्ट आने लगा था। इसलिए 11 वीं में बायो लेकर मेडिकल की तैयारी शुरू कर दी। 12 वीं बोर्ड के बाद पहले ड्रॉप में सचदेवा कोचिंग ज्वाइन किया। यहां के टीचर्स ने विषयों के बेसिक की ऐसी नींव रखी जिस पर मेडिकल सीट से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। मैं हमेशा से खुद को एक डॉक्टर के रूप में इमेजिन करता था। शायद इसी इमेजिनेशन की वजह से अपने सपने को पूरा करने के लिए हमेशा सौ फीसदी देने की कोशिश करता था।
जब निराश होता तब जैन सर की बातें सुनकर बढ़ जाता मनोबल
डॉ. विवेक ने बताया कि पहले ड्रॉप इयर में कुछ नंबरों से चूक गया था। ऐसे में थोड़ी निराश आना तो जाहिर सी बात है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने काउंसलिंग करते हुए उन नंबरों को कवर करने के ट्रिक्स दिए। उनकी मोटिवेशनल और पॉजीटिव बातें सुनकर अपने आप मनोबल बढ़ जाता था। फ्रेंड सर्कल भी ऐसा था कि दोस्त किसी को डिप्रेशन में जाने ही नहीं देते थे। जब कोई टॉपिक समझ नहीं आता तो हम गु्रप स्टडी में उस टॉपिक को पढ़ते थे। सचदेवा के टेस्ट सीरिज में जब टॉप 10 में रैंक आता तो लगता कि सफलता के बहुत करीब हैं।
एग्जाम प्रेशर को कंट्रोल करना सीखें
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट से यही कहूंगा कि आप एग्जाम प्रेशर को कंट्रोल करना सीखें। साथ ही हर टॉपिक को बार-बार रिवाइस करें, क्योंकि बिना रिविजन के पढ़ाई अधूरी रह जाती है। हार्ड वर्क का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ड्रॉप इयर में लोग क्या कह रहे हैं, इन बातों को सुनने और सोचने से बचे। जब आप सफल होंगे तो यही लोग आपकी सफलता पर तालियां बजाते पीछे खड़े नजर आएंगे। इसलिए सिर्फ लक्ष्य पर फोकस होकर पढ़ाई करें, सफलता जरूरी मिलेगी।(the states. news)