भिलाई(mediasaheb.com) कैलाश नगर दुर्ग में छोटा सा किराना दुकान चलाने वाले राजेद्र कुमार साहू की बेटी ने मेडिकल की पढ़ाई के लिए सबसे कठिन माने जाने वाले नीट एग्जाम क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर निशा साहू परिवार की पहली डॉक्टर बनेगी। अपने सपनों को नई उड़ान देने वाली निशा ने बताया कि जब वह 11 वीं कक्षा में एडमिशन लेने वाली थी उसी वक्त पिता की अचानक तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर कई जांच के बाद भी पिता की बीमारी पकड़ नहीं पाए, बाद में जब परेशानी बढ़ी तो उनका ऑपरेशन करना पड़ा। ऐसी हालत में पिता को दर्द से तड़पते हुए देखकर मन बहुत दु:खी हो जाता था। सोचती थी कि कितना अच्छा होता अगर मैं डॉक्टर बनकर पापा की तकलीफ झटपट दूर कर देती। उस सोच को मां ने हौसला दिया और मैंने बायो लेकर नीट की तैयारी शुरू कर दी। कहते हैं कि बड़ा लक्ष्य इतनी आसानी से नहीं मिलता। राह में कांटे भी बिछे होते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ। जीतोड़ मेहनत के बाद भी सफलता के लिए मुझे दो साल तक इंतजार करना पड़ा। फाइनली दूसरे अटेम्ट में नीट क्वालिफाई किया तो सबसे ज्यादा घर में खुश पापा ही थे। आज जब वे दुकान में आने वाले हर ग्राहक को बड़े शान से कहते हैं कि मेरी बेटी डॉक्टर बनेगी तो उनके चेहरे की रौनक देखने वाली होती है।
खुद को दूसरा चांस देने से डर रही थी तब दीदी ने किया मोटिवेट
निशा ने बताया कि 12 वीं बोर्ड के बाद उसने लगातार दो साल ड्राप लेकर नीट की कोचिंग की। पहली बार जब नीट में फेल्यिर का रिजल्ट हाथ में आया तो बहुत ज्यादा दु:खी हो गई थी। खुद को दूसरा चांस देने से डर रही थी। मन में बहुत बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे कि पता नहीं मैं दूसरे साल नीट क्वालिफाई कर पाऊंगी या नहीं। ऐसे में एमटेक कर रही बड़ी बहन ने मोटिवेट करते हुए कहा कि किसी को सफलता जल्दी तो किसी को देर से मिलती है। इसलिए निराश होने की बजाय एक मौका खुद को और दो। उनकी बातें सुनकर मैंने दूसरे साल फिर से नए सिरे से तैयारी शुरू की। अंतत: सफलता का रिजल्ट लेकर खुद को खुद की नजर में साबित कर दिया।
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में नीट की कोचिंग करने वाली निशा ने बताया कि यहां के टीचर्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बच्चों के सवाल पूछने से इरिटेट नहीं होते। आपके मन में जितना भी डाउट है अब कितने बार भी चाहो उसे पूछकर क्लीयर कर सकते हो। अलग से लगने वाले डाउट क्लास में मैं खूब सवाल पूछा करती थी। टीचर्स सलेक्टिव स्टडी मटेरियल ही बच्चों को पढ़ाते हैं। जिससे सिलेबस के बोझ से बच्चा खुद को हल्का महसूस करता है। गेस्ट सेशन में सचदेवा से पढ़कर देशभर में नाम कमाने वाले डॉक्टरों से मिलना एक अलग ही अनुभव रहा। जो हम बनना चाहते हैं अगर वो आकर खुद सामने खड़ा हो जाए तो लगता है कि सपना पूरा होने में ज्यादा वक्त नहीं है। क्लास में टीचर्स की मोटिवेशन संजीवनी बूटी की तरह हर स्टूडेंट को सौ फीसदी कोशिश के लिए मजबूर कर देती है।
जैन सर ने कहा था कि लक्ष्य से भटकना नहीं
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर नीट की तैयारी कर रहे बच्चों की काउंसलिंग क्लास लेते हैं। एक दिन उन्होंने तैयारी का जिक्र करते हुए सभी से कहा कि किसका संकल्प सबसे ज्यादा मजबूत है। सबने हाथ खड़ा किया पर कैसे मजबूत है ये नहीं बता पाए। तब जैन सर ने कहा कि जो लक्ष्य से भटकेगा नहीं उसका संकल्प सबसे ज्यादा दृढ़ है। उनकी प्रेरणादायी छोटी-छोटी कहानियां कभी हमें निराश नहीं होने देती थी। हर पल एक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास कराती थी। ये छोटी-छोटी लेकिन बेहद खास बातें सफलता के सही मायने में सीढिय़ां बनीं। इस साल नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहूंगी कि अपनी क्षमता का आंकलन खुद करो। आप क्या कर सकते हो क्या नहीं ये आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। इसलिए बस खुद पर भरोसा करके मेहनत करो। सफलता जरूर मिलेगी।(the states. news)