किसान पिता और हाउस वाइफ मां से प्रेरणा लेकर परिवार का पहला डॉक्टर बनेगा बेटा
भिलाई(mediasaheb.com) जीतने वाले केवल मंजिल देखते हैं और हारने वाले रास्ते की कठिनाई, ऐसा न सिर्फ माना बल्कि इस बात को चरितार्थ भी करके दिखाया है केशकाल विश्रामपुर के रहने वाले मुकेश कुमार मरकाम ने। किसान पिता के बेटे ने एक दो नहीं बल्कि अपने तीसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई करके डॉक्टर बनने के सपने को उड़ान दिया है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर मेडिकल की पढ़ाई की ओर कदम बढ़ाने वाले मुकेश कहते हैं फेल्यिर महज एक शब्द है। अगर इसे दिमाग पर हावी हुए बिना दोबारा कोशिश की जाए तो फेल्यिर को सक्सेस में बदलते देर नहीं लगती। कोचिंग में पढऩे वाले सारे दोस्त पहले और दूसरे अटेम्ट में नीट क्वालिफाई हो गए। मैं लगातार दूसरी साल भी फेल हो गया। ऐसे में बड़ी दीदी और भाई ने कहा कि जो सपना परिवार ने देखा है उसे पूरा करके ही घर लौटना। फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा तीसरी बार में फाइनली नीट क्वालिफाई कर ही लिया। मेरी जर्नी शायद उन लोगों को मोटिवेट करेगी जो लगातार फेल्यिर से निराश हो जाते हैं।
आधा साल शहर की चकाचौंध में निकल गया
नीट की कोचिंग के लिए जब पहले साल भिलाई आया तो यहां की चकाचौंध में खो गया। आधा साल मौज-मस्ती में कैसे निकला पता ही नहीं चला। जब टेस्ट सीरिज में नंबर बेहद कम आने लगा तब अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी। लाख कोशिश करने के बाद भी मैं सेलिबस को कवर नहीं कर पाया। इसलिए पहले ड्राप इयर में फेल हो गया। फेल्यिर के बाद डिप्रेशन होना भी जाहिर सी बात है। ऐसे में माता-पिता ने कहा कि बिना गलती दोहराए एक बार फिर कोशिश करो। उनकी बातें सुनकर फिर नीट की तैयारी की। कोरोना के बाद सक्सेस हाथ लगी।
सचदेवा के टीचर्स ने किया एवरेज स्टूडेंट पर भरोसा
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज का नाम नीट की कोचिंग के लिए काफी सुना था। इसलिए भिलाई आकर मैंने सीधे सचदेवा में ही एडमिशन लिया। मैं एवरेज स्टूडेंट था बावजूद यहां के टीचर्स ने मुझे कभी निराश नहीं होने दिया। टॉपर्स के बीच में हमारी पढ़ाई होती थी। फिर भी वो बराबर हर स्टूडेंट पर ध्यान देते थे। पहले डाउट होने पर झिझक के चलते मैं सवाल पूछ नहीं पाता था। टीचर्स ने मोटिवेट किया तो डाउट पूछना भी शुरू कर दिया। जिसका लाभ पढ़ाई में भी मिलने लगा। टफ सब्जेक्ट के अलावा यहां सरल विषयों की पढ़ाई भी गंभीरता से कराई जाती है। ताकि बच्चे की तैयारी में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए।
बर्थ डे के दिन बुलाकर जैन सर ने पूरी की परिवार की कमी
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर एक अच्छे काउंसलर होने के साथ एक अच्छे पैरेंट्स भी है। मुकेश ने बताया कि एक दिन जैन सर ने मुझे अचानक केबिन में बुला लिया। उस दिन मेरा बर्थ डे भी था। मैं डर गया कि पता नहीं मुझसे क्या गलती हो गई पर उन्होंने प्यार से बर्थ डे विश करते हुए ढेर सारी शुभकामनाएं दी। साथ ही मोटिवेट करते हुए कहा इस साल मेरा सलेक्शन जरूर होगा। उनकी ये बातें मन को छू गई। एक पॉजिटिव एनर्जी के साथ मैंने एग्जाम दिया। उस दिन कहीं न कहीं उन्होंने मेरे परिवार की कमी पूरी की थी। जिसे मैं जीवनभर नहीं भूल पाऊंगा।(the states. news)