पढ़ाई में डिस्टरबेंस न हो इसलिए आज तक फेसबुक और इंस्टा पर नहीं खोला अकाउंट
भिलाई(mediasaheb.com)| बचपन के खेल में डॉक्टर बनकर भाई को सुई से डराने वाली गामिनी अब असल जिंदगी में भी डॉक्टर बनने जा रही है।कोरबा जिले के रजगामार की रहने वाली गामिनी पैकरा ने अपने दूसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई करके अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। गामिनी कहती है कि बचपन में डॉक्टर किट से खेलतेखेलते कब ये जीवन का लक्ष्य बन गया पता ही नहीं चला। परिवार में सभी इंजीनियरिंग और टीचिंग प्रोफेशन से जुड़े हैं इसलिए मैं कुछ अलग करना चाहती थी। 12 वीं बोर्ड बायो सब्जेक्ट से दिया तो एमबीबीएस से अच्छा कॅरियर और कुछ हो ही नहीं सकता था। पहले अटेम्ट में फेल्यिर के बाद पैरेंट्स ने एक साल ड्रॉप लेकर तैयारी करने के लिए कहा। मैंने भी पैरेंट्स की बात मानी और जी जान से अपने मकसद को पूरा करने में जुट गई। पढ़ाई में डिस्टरबेंस न हो इसलिए सोशल मीडिया से भी दूरी बनाई।
आज तक नहीं बनाया फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट
गामिनी ने बताया कि उसने आज तक अपना फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट नहीं बनाया। वो कहती है कि कोचिंग में आए मशहूर हार्ट सर्जन डॉक्टर कृष्णकांत साहू ने कहा था कि सोशल मीडिया के चक्कर में कई बच्चे इतने ज्यादा सोशल हो जाते हैं कि वो पर्सनल नहीं हो पाते। मैं नहीं चाहती थी कि मेरा ध्यान भी सोशल मीडिया पर भटके इसलिए इन चीजों से दूर रही। जवाहर नवोदय विद्यालय में पढऩे के कारण बचपन से खुद को इमोशनली मैनेज करना सीख लिया था। ये सारी छोटी-छोटी मगर बेहद अहम बातें मेरी सफलता की सीढ़ी बनती चली गई। नीट की तैयारी के दौरान कई बार हताश हुई। कई बार ये भी लगा कि पता नहीं मैं सलेक्ट हो पाऊंगी या नहीं। खुद को समझाते हुए इन नकारात्मक बातों को पढ़ाई से दूर रखने की कोशिश की। हर सुबह कॉपी पर लिखकर खुद को याद दिलाया कि मुझे डॉक्टर बनना है।
किफायती ट्रिक्स और नोट्स से सचदेवा में पढ़ाई बन गई मजेदार
गामिनी ने बताया कि जवाहर नवोदय कोरबा के कई बच्चों ने सचदेवा भिलाई में पढ़कर नीट क्वालिफाई किया है। इसलिए मैंने भी सचदेवा को ही कोचिंग के लिए चुना। गामिनी कहती है कि यहां के टीचर्स के सब्जेक्ट को याद रखने लिए बताए जाने वाले ट्रिक्स यूनिक है। टीचर्स का पूरा फोकस सिर्फ नीट के सिलेबस पर रहता है। बेवजह की चीजें पढ़ाने की बजाय वे केवल सिलेबस की पढ़ाई कराते हैं। हर दिन नोटस भी बनवाते हैं। रोजाना होने वाले डेली पेपर प्रैक्टिस से खुद को परखने का मौका मिलता था कि हम कितने पानी में हैं। जब सचदेवा के एक्स स्टूडेंट जो आज नामी डॉक्टर हैं हमारे बीच में आते तो उनकी बातें बहुत प्रेरणा देती। एक पॉजिटिविटी का एहसास कराती कि लाइफ में कुछ भी इंपॉसिबल नहीं है।
जैन सर से सिखाया कैसे खुद का करें आंकलनसचदेवा के डायरेक्टर और सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन सर की काउंसलिंग हमेशा अमेजिंग होती थी। गामिनी कहती है कि एक दिन जैन सर ने कहा कि तुम खुद को कितना नंबर देते हो अपनी पढ़ाई के लिए। सब बच्चे चुपचाप खड़े हो गए। उन्होंने एक मिनट का वक्त दिया फिर दोबारा पूछा पर किसी को समझ में नहीं आया हम इस सवाल का जवाब कैसे दें। जैन सर ने कहा कि आप अपने बनाए टाइम टेबल में जितनी बातें रोज फॉलो करते हो उस हिसाब से नंबर दो। उस दिन समझ आया कि खुद का आंकलन करना भी जरूरी है। दूसरों की बजाय यदि हम खुद को परखे तो गलतियां भी अपने आप समझ आ जाती है। तब शायद हम असफलता के लिए किसी और को कोस नहीं सकते। उनकी ये सिखलाई मुझे जीवन भर याद रहेगी। नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहूंगी कि खुद पर भरोसा करना सीखे। कोशिश करना न छोड़े। कोशिश करने वालों की हमेशा जीत होती है। (the states. news)