21 लड़कियों
की क्लास में बायो पढऩे वाला मैं अकेला लड़का, नहीं पता था किस परीक्षा को पास करके
बनते हैं डॉक्टर
भिलाई, (media
saheb.com) पापा
चाहते थे कि मैं मैथ्स लेकर इंजीनियर बनूं, लेकिन मैंने बायो लेकर पढऩे का मन
बनाया। 11 वीं में जब स्कूल के
बायो सेक्शन में पहुंचा तो वहां 21 लड़कियों
की क्लास में मैं अकेला लड़का था। पहले साल तो बायो पढऩे से ज्यादा क्लास में
अकेला लड़का होने के कारण एडजेस्ट करने में निकल गया। 12 वीं बोर्ड की तैयारी की तब तक नहीं पता
था कि डॉक्टर बनने के लिए कौन सी परीक्षा देनी पड़ती है। अचानक किसी दोस्त ने
बताया कि नीट एग्जाम क्वालीफाई करने के बिना एमबीबीएस संभव नहीं है। फिर क्या नीट
की तैयारी में जुट गया।
एक साल ड्रॉप लेकर
रोजाना कोचिंग के अलावा सात से आठ घंटे की पढ़ाई की। दूसरे प्रयास में अच्छे रैंक
के साथ नीट क्वालिफाई कर लिया। आज पापा मुझे इंजीनियर की बजाय जब डॉ. यश कुमार
रात्रे के रूप में बुलाते हैं तो अलग ही खुशी होती है। इस्पात नगरी भिलाई के यश को
राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला है।
एमबीबीएस
के बाद यश हार्ट सर्जन बनकर छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में सेवा देना चाहते
हैं। ताकि राज्य के लोगों को दिल के इलाज के लिए दूसरे राज्यों में न भटकना पड़े।
यश कहते हैं कि कई बार आपको जरूरत की चीजों की जानकारी बहुत देर से मिलती है। ऐसे
में निराश होने की बजाय और ज्यादा उत्साह और लगन से उस काम का करना चाहिए। सफलता
निश्चित ही मिलती है।
दोस्तों के साथ घूमने की बजाय सिर्फ
पढ़ाई पर किया फोकस
यश ने बताया कि स्कूल के दोस्त कोचिंग
के बाद का समय घूमने-फिरने और मौज-मस्ती में निकाल देते थे। कई बार मेरा भी मन भटक
जाता लेकिन अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए सिर्फ पढ़ाई पर फोकस किया। एक
बार किसी को कहते सुना था कि पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, घुमोगे फिरोगे तो पछताओगे बार-बार,
पता नहीं क्यों उस दिन के बाद से घूमने
और मौज-मस्ती पर कभी ध्यान ही नहीं गया। घर से कोचिंग और सेल्फ स्टडी में कब एक
साल निकल गया पता ही नहीं चला। जब नीट का रिजल्ट आया तो लगा मुझे मेरे त्याग और
परिश्रम का सबसे बड़ा फल मिला है। अब परिवार के लोग भी मुझे डॉक्टर यश कहने लगे
हैं। अपनों के मुंह से खुद की पहचान को सुनना बेहद सुकून देता है।
तैयारी के दौरान नींद का रखा पूरा ख्याल
नीट या किसी भी बड़ी परीक्षा की तैयारी
के दौरान कई बच्चे पढ़ाई तो रातभर जागकर करते हैं पर सोना भूल जाते हैं। स्लीपिंग
डिसऑर्डर बाद में शरीर को थकाने लगता है। इसलिए मैंने भरपूर नींद ली। मैं रोजाना
दस बजे सो जाता था ताकि अपने शरीर को पूरा आराम दे सकूं। पढ़ाई के साथ-साथ सेहत का
भी ख्याल रखा ताकि एग्जाम से पहले किसी तरह की बीमारी के कारण मेरा रूटीन खराब ना
हो।
चमचमाती कार और डॉक्टर की पर्सनाल्टी
देखकर रह गया हैरान
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में जाना भी एक
इत्तेफाक था। नीट की तैयारी के लिए मैं भिलाई में बेस्ट कोचिंग की तलाश कर रहा था।
इसी बीच सचदेवा से पढ़कर एमबीबीएस कर रहे पहचान के अंकल के बेटे से बात हुई।
उन्होंने कहा कि तू आंख मूंदकर सचदेवा में एडमिशन ले ले। अगले साल वहां से सीधे
नीट क्वालिफाई करके ही निकलेगा। जैसे सुना था बिल्कुल वैसा ही हुआ। स्मार्ट टीचिंग
और टेस्ट सीरिज के कारण खुद को इम्पू्रव कर पाया। वहां के टीचर्स डाउट पूछने पर
दोगुने उत्साह से विषय को दोबारा समझाते हैं। जिससे सवाल पूछते वक्त झिझक नहीं
होती। सचदेवा में एक दिन गेस्ट सेशन में चमचमाती कार और स्मार्ट पर्सनाल्टी के साथ
एक डॉक्टर को कोचिंग के अंदर आते देखकर दिल खुश हो गया। वो सचदेवा के एक्स
स्टूडेंट थे। मन में सोचा जब इनकी सफलता इतनी शानदार हो सकती है तो मेरी क्यों
नहीं। इसलिए उस दिन से रोज एक घंटे ज्यादा पढऩे लगा।
जैन सर ने काउंसलिंग करते हुए बताया कि
सेहत अच्छा तो पढ़ाई भी होगी अच्छी
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर
चिरंजीव जैन सर नीट की तैयारी कर रहे हर स्टूडेंट की पर्सनल और गु्रप में
काउंसलिंग करते हैं। उन्होंने एक दिन कहा था कि सेहत अच्छी रहेगी तो पढ़ाई में भी
ज्यादा मन लगेगा। इसलिए मैंने पढ़ाई के साथ हेल्थ पर भी फोकस किया। वो अक्सर अपने
स्टूडेंट्स से कहते हैं दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं जो आपके मेहनत को हरा सके।
इसलिए इतनी मेहनत करो कि सीधे सफल होकर घर पहुंचो। उनके बताए रास्ते पर चलकर आज
मैं डॉक्टर बनने की दिशा में आगे बढ़ पाया।